कांग्रेस के 84वें महाअधिवेशन की आज(17 मार्च) से शुरुआत हो चुकी है। करीब आठ साल बाद यह अधिवेशन हो रहा है। चुनावों में लगातार मिल रही शिकस्त के लिहाज से यह अधिवेशन काफी अहम है वहीं राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद यह पहला अधिवेशन है। 3 दिनों तक चलने वाले इस अधिवेशन की शुरुआत इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम से हुई। राहुल गांधी ने झंड़ा फहराकर अधिवेशन की शुरुआत की।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में इस विषय पर समिति की बैठक हुई। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता एके एंटनी, जनार्दन द्विवेदी और पार्टी के प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष सहित कई नेताओं ने हिस्सा लिया। अधिवेशन का मकसद अगले पांच साल में पार्टी का दिशा-निर्देश तय किया जाएगा। पाहुल गांधी महाधिवेशन के माध्यम से पार्टी का दृष्टिकोण रखेंगे।
राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान मोदी सरकार पर जमकर हमला किया उन्होंने कहा कि आज जब युवा पीएम मोदी की तरफ देखते हैं तो उन्हें रास्ता नहीं मिलता।मोदी सरकार गुस्से और क्रोध का उपयोग करती है और हम भाईचारे का प्रयोग करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि आज देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है, और देश को बांटा जा रहा है, देश के एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़ाया जा रहा है।
राहुल ने कांग्रेस के चुनाव चिन्ह हाथ की और इशारा करते हुए कहा, ‘यह जो हाथ का निशान है, जो जोड़ने का काम कर रहा है। अगर देश को जोड़ने का काम करना है, तो हम सबको मिलकर, देश की जनता को करना पड़ेगा। अधिवेशन से पहले हुई कांग्रेस की बैठक के दौरान पारित किए जाने वाले चार प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया। इनमें राजनीतिक, आर्थिक, विदेशी मामलों तथा कृषि, बेरोजगारी एवं गरीबी उन्मूलन के प्रस्ताव शामिल हैं। पार्टी हर क्षेत्र पर अपना दृष्टिकोण रखेगी और वर्तमान परिदृश्य से उसकी तुलना करेगी।
राहुल गांधी ने अधिवेशन की शुरुआत में राजनीतिक, आर्थिक, विदेशी मामलों तथा कृषि, बेरोजगारी एवं गरीबी जैसे का मिुद्दों के साथ जमकर हमला किया। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इन मसलों के लिए हमेशा पूर्ववर्ती सरकारों को ही जिम्मेदार ठहराती आई है। जबकि मोदी सरकार ने 2014 के आम चुनाव से पहले इन सभी मुद्दों में सुधार का वादा किया था लेकिन आज भी मोदी सरकार इन सभी मुद्दों पर कहीं भी स्टैंड करती नहीं दिख रही है।
मोदी सरकार 2014 में गुजरात का मॉडल पेश करके सत्ता में आई थी लेकिन इन चार सालों में केंद्र सरकार के लिए लव जिहाद, एंटी रोमियो स्क्वॉड, गोरक्षा, घर वापसी, राम मंदिर और हिंदू राष्ट्रवाद जैसे मुद्दे इन तीन सालों में सरकार के लिए रोज़गार, शिक्षा, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से कम अहम नहीं रहे हैं।
इसके अलावा धीरे-धीरे एनडीए के अन्य घटक अलग होते नज़र आ रहे हैं। हाल ही में तेलुगु देशम पार्टी ने गठबंधन तोड़कर बीजेपी के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है हालांकि पार्लियामेंट ने इसे नामंजूर कर दिया है। मोदी सरकार को 4 साल बीतने को हैं इन सालों में मोदी सरकार अपना एक भी वादा पूरा नहीं कर पाई है। वहीं एनडीए से अलग होते घटक विपक्ष की स्थिति को मजबूत कर रहे हैं ऐसे में 2019 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस का यह महाधिवेशन खास अहमियत रखता है।