रायबरेलीः उत्तर प्रदेश में शनिवार को ब्लॉक प्रमुख चुनाव (UP Block Pramukh Chunav) के नतीजे आए। इनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने 825 में ले 635 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज की है। इस दौरान कांग्रेस (Congress) की स्थिति सबसे दयनीय नजर आई। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले रायबरेली की 18 सीटों के नतीजों में भी कांग्रेस कहीं नजर नहीं आई। इनमें ज्यादातर सीटें भाजपा के पाले में गई हैं। इसके अलावा बची सीटों पर निर्दलीय और सपा कायम है।
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव की बात करें तो बकायदा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (Ajay Kumar Lallu, UP President, Congress) ने रायबरेली पहुंचकर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में आरती सिंह (Arti Singh) का नाम ऐलान किया था। इन सब के बावजूद कांग्रेस प्रत्याशी हार गई और इस सीट पर पहली बार कमल खिला। वहीं, ब्लॉक प्रमुख पद के चुनाव में कांग्रेस ने अपने अधिकृत प्रत्याशी उतारे ही नहीं।
लोगों को हैरत तब हुई जब अंतिम परिणामों के बाद समीक्षा में एक भी पुराना कांग्रेस निर्दलीय के तौर ही सही लेकिन चुनाव में कोई सीट हासिल नहीं कर पाया। जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी गंवाने के बाद कांग्रेस के खाते में ब्लॉक प्रमुख पद भी नहीं आया।
बता दें कि जिले की कुल 18 ब्लॉक प्रमुख सीटों पर चुनाव हुए हैं। इनमें से 5 सीटों पर निर्विरोध नामांकन हुआ। जिसके बाद भाजपा के पाले में 15 सीटें आईं। वहीं, बची तीन सीटों में 2 सीटें सपा के हाथ और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीता है।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी का ऐसा प्रदर्शन ये साफ कर रहा है कि कांग्रेस की स्थिति प्रदेश में ठीक नहीं है। यहां तक की गढ़ माने जाने वाले रायबरेली में भी अब कांग्रेस साफ होती नजर आ रही है। अमेठी पहले ही राहुल गांधी के हाथ से जा चुकी है। वहीं, रायबरेली सांसद सोनिया गांधी को छोड़कर वहां सभी सीटों पर कांग्रेस कहीं नजर आ नहीं रही है।
चुनावी मैनेजमेंट की कमी के कारण जिला पंचायत के बाद अब ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में पार्टी का खाता तक नहीं खुला। कुछ महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में ये चुनावी नतीजे पार्टी के लिए खतरे की घंटी जैसे हैं।