नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान सौदे के खिलाफ दायर जांच संबंधी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले से जहां बीजेपी खुश है तो वहीं कांग्रेस मामले की जांच जेपीसी से कराने की मांग कर रही है.
संसद की JPC की ही सही मंच
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि इस मामले की जांच के लिए संसद की JPC की ही सही मंच है. उन्होंने कहा,” राफेल मामले पर जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट सही मंच नहीं है. हम SC के फैसले का स्वागत करते हैं लेकिन इस मामले पर सच तभी सामने आएगा जब इस मामले की जांच जेपीसी करेगी.”
राफेल सौदे का मामला अनुच्छेद 132 और 32 से जुड़ा
मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि कहा, “राफेल सौदे का मामला अनुच्छेद 132 और 32 से जुड़ा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट विमान के मूल्य और सौदे की प्रकिया से जुड़ी संवेदनशील रक्षा अनुबंध पर फैसला नहीं दे सकता. इस मामले की सिर्फ जेपीसी से जांच कराई जा सकती है.
सुरजेवाला ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आज उस बात पर मुहर लगा दी जो कांग्रेस पार्टी कई महीनों से कहती आ रही थी. हमने पहले ही कहा था कि इस तरह के संवेदनशील रक्षा मामलों पर फैसला लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट मंच नहीं है.”
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी अब राहुल गांधी से माफी की मांग कर रही है. आइए जानते हैं कि आखिर यह जेपीसी होती क्या है जिसकी मांग पर कांग्रेस अड़ी हुई. ज्वाइंट पार्लियामेंटरी कमेटी संसद की वह समिति जिसमें सभी दलों को समान भागीदारी हो. जेपीसी को यह अधिकार है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है जिसको लेकर जेपीसी का गठन हुआ है.
साथ ही जिस किसी भी व्यक्ति को जेपीसी बुलाती है अगर वह आता नहीं तो इसे सदन की अवमानना माना जाता है. जोपीसी को यह अधिकार होता है कि वह जिस व्यक्ति या संस्था के खिलाफ जांच चल रही है उससे लिखित या मौखिक जवाब मांग सकती है.