पटना। कांग्रेस बिहार में ‘जन आकांक्षा रैली’ के बहाने अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटी है। इसीलिए पार्टी 30 साल बाद पटना के गांधी मैदान में यह रैली करने जा रही है। कई सफल रैलियों के गवाह रहे गांधी मैदान में अपने दम पर कांग्रेस करीब 30 साल बाद रैली आयोजित कर रही है। पटना में 1989 में राजीव गांधी ने एक रैली को संबोधित किया था। कांग्रेस की रैली को लेकर जहां पार्टी के नेता और कार्यकर्ता उत्साहित हैं। इसमें हिस्सा लेने के लिए लोग एक दिन पहले ही पटना पहुंच गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी रैली को संबोधित करेंगे जबकि महागठबंधन के घटक दलों के नेता इसमें शामिल होकर एनडीए सरकार के खिलाफ अपनी एकजुटता प्रदर्शित करेंगे।
बता दें कि पूरे 30 साल बाद कांग्रेस अपने बलबूते यह रैली आयोजित कर रही है। कांग्रेस ने इस रैली को कामयाब बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। पटना की सड़कों और चौराहों को पोस्टरों व बैनरों से पाट दिया गया है। कांग्रेस के विधायक से लेकर बिहार के कई विपक्षी सांसद इस रैली को सफल करने में जुटे हैं। कांग्रेस की रैली के लिए पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान सजकर तैयार है। तीस बरस बाद ऐसा मौका आया है, जब इस मैदान पर कांग्रेस की तरफ से रैली का आयोजन किया गया है। राहुल गांधी पटना के गांधी मैदान में पहुंचे इसके पहले ही यहां जबरदस्त तैयारी की गई हैं। राहुल का भाषण सुनने वालों के लिए रसगुल्ला का इंतजाम है। बताया जा रहा है कि इस रैली में एक लाख लोग पहुंचेंगे। इंतजाम की जिम्मेदारी निर्दलीय और बाहुबली विधायक अनंत सिंह देख रहे हैं। वह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाल लड़ना चाहते हैं।
वहीं बहरहाल, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा का कहना है कि जन आकांक्षा रैली में पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी, विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी, वामपंथी दलों के नेता और छतीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि इस रैली में भाग लेने के लिए कार्यकर्ता एक दिन पहले पटना पहुंच गए. उनके रहने और खाने का प्रबंध पार्टी के विधायकों और विधान पार्षदों के आवास पर किया गया है।
कांग्रेस की रणनीति
आम चुनाव 2019 में अब बहुत थोड़ा वक्त बचा है। कांग्रेस बिहार में महागठबंधन के साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश की जोड़ी को शिकस्त देने के लिए बिसात बिछा रही है। बीजेपी और जेडीयू ने पहले ही 17-17 सीटों पर बंटवारा करके अपनी चाल चल दी है। अब कमान राहुल के पास है। राहुल नई रणनीति के साथ मैदान में हैं। रैली की कामयाबी कांग्रेस के लिए एक साथ कई मोर्चों पर मददगार होगी। लिहाजा पार्टी के 27 विधायकों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इससे न सिर्फ बिहार में मतदाताओं को एक नया संदेश जाएगा बल्कि सहयोगियों के साथ सीटों की सौदेबाजी में भी ताकत बढ़ेगी। इस शक्ति प्रदर्शन पर एनडीए की निगाहें तो जमी ही है। लेकिन साथ ही महागठबंधन के दलों की नजरें टिकी हैं। कांग्रेस का जनाधार लौटा तो उसका सीधा असर विरोधियों के साथ ही सहयोगी दलों पर भी पड़ेगा।