उत्तर प्रदेश की सरकार राज्य में भले हुए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का दावा करती हो लेकिन आज भी राज्य में कई ऐसे गांव मौजूद हैं जहां स्वास्थ्य सुविधा के नाम भद्दा मजाक किया जाता है। भदौरा ब्लॉक के खजूरी गांव में स्थित समुदायिक केंद्र किसी पुराने खंडहर में तब्दील हो चुका है।
इस गांव की गर्भवती महिलाएं और बच्चे डीलीवरी व टीकाकरण के लिए गांव से आठ किलोमीटर दूर जाती हैं। सरकारी अस्पतालों एंव उप क्रेंद्रों का हाल जानने के लिए फरीद गाजी ने साइकिल यात्रा शुरु करते हुए गांव-गांव भ्रमण करने निकले। इस दौरान फरीद गांवों में बेसिक सुविधाओं के लेकर जिले के आला-अधिकारियों को अवगत कराने में जुटे हुए हैं।
फरीद की साइकिल यात्रा जब खजूरी गांव पहुंची तो उन्होंने यहां का सूरते हाल देखा। ये गांव बिहार के बॉर्डर से लगी हुई कर्मनाशा नदी के किनारे स्थित है। यहां बना उप केंद्र पिछले कई सालों से उपेक्षा का शिकार बना है। यहां के दरवाजे-खिड़की तक गायब हो चुके हैं। स्वास्थ्य सुविदाओं के नाम ये केंद्र खंडहर में बदल चुका है।
इस गांव की गर्भवती महिलाओं की जब भी डिलीवरी की जरूरत होती है तब उन्हें यहां से 8-10 किलोमीटर दूर दिलदारनगर ले जाना पड़ता है। साथ ही साथ उनके टीकाकरण और उनके बच्चों के टीकाकरण के लिए भी 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है।
ग्रामीणों ने बताया कि वह लोग अपने ग्राम प्रधान के माध्यम से इसके लिए कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन व्यवस्था है कि बदलने का नाम नहीं ले रही है। जिसके वजह से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।