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ओडीएफ फतेहपुर की दास्तां बयां कर रहे बदहाल सामुदायिक शौचालय, जिम्‍मेदारों का पता नहीं

ओडीएफ फतेहपुर की दास्तां बयां कर रहे बदहाल सामुदायिक शौचालय, जिम्‍मेदारों का पता नहीं

फतेहपुर: गांवों में करोड़ों रुपए की लागत से सामुदायिक शौचालयों बनने के बाद उनका हाल देखने वाला कोई नहीं है। कहीं दरारें पड़ रहीं है तो कहीं सेफ्टिक टैंक टूट रहे हैं। इतना ही नहीं कई शौचालयों में ताले भी लटक रहे हैं। मजबूरी में लोगों को शौच के लिए खुले में जाना पड़ता है। अब ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि सरकारी धन से बने इन करोड़ों रुपए के शौचालयों की बदहाली का जिम्मेदार कौन हैं?

जिले को ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्त) घोषित किया जा चुका है। लेकिन हालात यह है कि इन शौचालयों में ताला लटक रहा है या फिर ये बदहाली के शिकार हो गए हैं। वर्ष 2020 में बनकर तैयार हुए इन शौचालयों को देखने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि लोग आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर हैं।

कई गांवों में स्थिति बेहद खराब

सरकार की इस योजना का लाभ उठाने के लिए तरस रहे ग्रामीणों में काफी नाराजगी भी है। लोग इन सामुदायिक शौचालयों का लाभ लेना चाहते हैं लेकिन कहीं ताले लटक रहे हैं तो कहीं शौचालय टूट रहे हैं। जिले में असोथर विकास खंड परिसर, सैबसी, सरकंडी, देवलान, सुकेती, परसेटा मजरे खनसेनपुर, कटरा, बेरुई, विजयीपुर सहित बिंदकी और खागा तहसील के कई गांव शामिल हैं, जहां सामुदायिक शौचालय बदहाली कि स्थिति में पहुंच रहे हैं।

जानकारी के अनुसार शौचालय को स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को चिह्नित कर दिए जाने थे। फिर समूह के खाता से धनराशि के जरिए साफ-सफाई करने के लिए सामग्री और सफाई करने वाले कर्मचारी का वेतन दिया जाना था। हालांकि, अभी तक गांव में चल रहे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को चिह्नित नहीं किया गया है।

बदहाली की दास्तां

कई जगह सामुदायिक शौचालयों के ताले टूटे हैं। ऐसे में यहां पर जानवर बांधने से लेकर कूड़ा तक फेंका जा रहा है। कई जगह शौचालयों की सीटें दुर्दशा का शिकार हो चुकी है। स्नानघर में लगी टोंटियों से पानी नहीं आता क्योंकि ऊपर रखी टंकी या तो टूट चुकी हैं या फिर उनमें पानी नहीं भर पाता है।

खमसेनपुर गांव के बरदानी ने बताया कि, सरकारी हैंडपंप से मोटर लगाकर शौचालय में कनेक्शन दे दिया गया लेकिन बिजली न होने से टंकी भरी ही नहीं जाती। सरकंडी के सैबसी में शौचालय का सेफ्टिक टैंक ध्वस्त हो गया है। कटरा, बेसडी के शौचालयों में दरारें पड़ने लगी हैं और सेफ्टिक टैंक मिट्टी से भर गया है।

ग्रामीणों के साथ आने-जाने वालों को मिलता लाभ

जब आसपास के लोग गांवों में या गांव के लोग बाहर निकलते हैं तो उन्हें शौच के लिए स्थान नहीं मिलता है। ऐसे में वह खुले स्थान पर शौच क्रिया करते हैं। इससे प्रदूषण तो होता ही है साथ में लोगों को शर्मशार भी होना पड़ता है। इसी को देखते हुए सार्वजनिक शौचालय बनवाए गए थे, जिससे ठहरने वाले प्रवासियों और राहगीरों को खुले में शौच न जाना पड़े।

खुले में शौच से बढ़ता प्रदूषण

हमारे आसपास प्रदूषण बढ़ाने का एक कारण खुले में शौच भी है। जब भी लोग खुले में शौच करते हैं तो इनमें बैठने वाली मक्खियां हमारे घर और भोजन तक पहुंचती हैं। इससे संक्रमित भोजन करने से बीमारियों का शिकार हो जाता है। इसी स्वास्थ्य समस्या को देखते हुए योगी सरकार ने गांव-गांव सामुदायिक और घरों में शौचालय बनवाए थे।

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