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सौ लाख करोड़ की संरचना बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई, होगा ये बड़ा फायदा

business सौ लाख करोड़ की संरचना बनाने के लिए प्रतिबद्धता जताई, होगा ये बड़ा फायदा

नई दिल्ली। स्थायी आधार पर एक व्यापक और समावेशी विकास हासिल करने के लिए गुणवत्तायुक्‍त बुनियादी ढांचे की उपलब्धता एक पूर्व-आवश्यकता है। भारत की उच्च विकास दर को बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश भी आवश्यक है।

2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर का सकल घरेलू उत्पाद अर्जित करने के लिए, भारत को बुनियादी ढांचे पर इन वर्षों में लगभग 1.4 ट्रिलियन डॉलर (100 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने की आवश्यकता है। पिछले एक दशक (वित्त वर्ष 2008-17) में, भारत ने बुनियादी ढांचे पर लगभग 1.1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश किया है। अब चुनौती के तौर पर वार्षिक बुनियादी ढाँचे में निवेश को बढ़ाना है ताकि बुनियादी ढाँचे की कमी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर बाधा न बन सके।

माननीय प्रधानमंत्री ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कहा कि अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सामाजिक और आर्थिक बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल होंगी। इस स्‍तर पर एक बुनियादी ढांचे के कार्यक्रम को लागू करने के लिए, यह महत्वपूर्ण है कि परियोजनाएं पर्याप्त रूप से तैयार की जाएं और इनका समयबद्ध रूप से शुभारंभ किया जाए। इसी श्रृंखला में, एक वार्षिक बुनियादी ढांचे का प्रारूप विकसित किया जाएगा। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए, द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर वित्तीय वर्ष 2024-25 तक के प्रत्येक वर्ष के लिए एक राष्ट्रीय अवसंरचना कार्यक्रम बनाने हेतु केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा सचिव (डीईए) की अध्यक्षता में एक कार्य बल का गठन किया गया है।

इनके कार्य इस प्रकार से होंगे-

वित्तीय वर्ष 2019-20 में शुरू हो सकने वाली तकनीकी रूप से व्यवहार्य और वित्तीय/ आर्थिक रूप से व्यवहार्य अवसंरचना परियोजनाओं की पहचान करना।

वित्तीय वर्ष 2021-25 के बीच शेष 5 वर्षों में से प्रत्येक के लिए प्रगतिपूर्ण परियोजनाओं को सूचीबद्ध करना।

वार्षिक अवसंरचना निवेश/पूंजीगत लागत का अनुमान लगाना।

वित्तपोषण के उपयुक्त स्रोतों की पहचान करने में मंत्रालयों का मार्गदर्शन करना।

परियोजनाओं की निगरानी के लिए उपाय सुझाना, ताकि लागत और समय में कमी लाई जा सके।

नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी परियोजनाओं में ग्रीनफील्ड और ब्राउनफील्ड परियोजनाएं भी शामिल होंगी, जिनमें प्रत्येक पर 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी। चालू वर्ष के लिए प्रगतिशील योजनाओं के लिए डीपीआर की उपलब्धता, कार्यान्वयन की व्यवहार्यता, वित्तपोषण योजना में समावेश और प्रशासनिक स्वीकृति की तत्परता/उपलब्धता भी शामिल होगी। प्रत्येक मंत्रालय/विभाग परियोजनाओं की निगरानी के लिए जिम्मेदार होगा ताकि उनके कार्यान्वयन को समय पर और लागत के अनुरूप सुनिश्चित किया जा सके। कार्य बल, इंडिया इनवेस्टमेंट ग्रिड (आईआईजी) और नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ), आदि के माध्यम से निजी निवेश की आवश्यकता वाली परियोजनाओं के मजबूत विपणन को भी सक्षम बनाएगा।

कार्य बल वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए पाइपलाइन परियोजनाओं पर 31 अक्टूबर, 2019 तक और वित्तीय वर्ष 2021-25 के लिए सांकेतिक पाइपलाइन पर 31 दिसंबर 2019 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।

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