लखनऊ: पूरे देश और यूपी में कई ऐसे मामले सामने आए जहां वैक्सीन लगी ही नहीं और वैक्सीन लगने का मैसेज आ गया। या वैक्सीन कोवीशील्ड और मैसेज आया कोवैक्सीन का। लखनऊ में दो ऐसे मामले सामने आए जिसमें वैक्सीन लगी किसी सेंटर में और मैसेज किसी और सेंटर का आया।
वैक्सीन सर्टिफिकेट को लेकर लापरवाही
दो केस तो महज बानगी भर है कि वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट को लेकर किसी हद तक लापरवाही बरती जा रही है। लेकिन, हैरान करने वाली बात यह है कि सर्टिफिकेट वहां का दिखा रहा है जहां कोवैक्सीन लगती ही नहीं है। ऐसे में लाभार्थी भी परेशान होकर सर्टिफिकेट ठीक कराने के लिए भटक रहे है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि अभी उनको ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। लेकिन मामले को दिखाया जायेगा।
सेंटर कोई और वैक्सीन कहीं
राजधानी में कोवैक्सीन केवल सिविल अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल और आरएलबी में ही लगती है। बाकि अन्य सेंटर्स पर कोविशील्ड लगती है। यहां तक कि ऐशबाग ईदगाह में भी कोविशील्ड लगाई जाती है। लेकिन, ऐसे कई मामले सामने आ रहे है जहां सर्टिफिकेट में दूसरे सेंटर का नाम लिखा आ रहा है। पहले तो बिना वैक्सीन लगे ही वैक्सीन लगने के मैसेज की शिकायतें आ रही थी। लेकिन, इस तरह का मामला अपने आप में बेहद ही अनूठा है।
सिविल में ज्यादा मामले सामने आए
सिविल अस्पताल में कार्यरत एक कर्मचारी ने बताया कि इस तरह के करीब 10-12 मामले आ चुके है जिसमें कोवैक्सीन की सेकेंड डोज तो सिविल में लगी है। लेकिन, सर्टिफिकेट में ऐशबाग ईदगाह लिखा आ रहा है। वो भी कोवैक्सीन लगाने का, जबकि वहां पर केवल कोविशील्ड ही लगती है।
पोर्टल पर डोज अपडेट नहीं होने की वजह से हो रही समस्या
वहीं मामले को लेकर इम्युनाईजेशन के नोडल इंचार्ज डॉ. एमके सिंह ने बताया कि इस तरह की कोई शिकायत अभी तक नहीं आई है। कई बार पोर्टल पर डोज का डाटा अपडेट नहीं होता है। चूंकि पोर्टल पर बैक डेट में एंट्री नहीं हो सकती इसलिए कई मामलों में डेट आगे-पीछे हो जाती है। लेकिन, अगर सेंटर बदल गया और एक सेंटर को लेकर मामले ज्यादा आ रहे है, तो मामले को दिखाया जायेगा।
लखनऊ में दो मामले सामने आए
- शैलेंद्र कुमार ने पहली डोज लोकबंधु और दूसरी सिविल में लगवाई. लेकिन, सर्टिफिकेट उनको ऐशबाग ईदगाह का मिला है। जहां वो गए ही नहीं लगवाने।
- राजेंद्र दूबे को कोवैक्सीन की दोनों डोज सिविल में लगी। लेकिन, उनके सर्टिफिकेट में भी दूसरी डोज ऐशबाग ईदगाह लिखा है। जबकि वो या उनके परिवार का कोई सदस्य वहां गया ही नहीं था।