आसमान पर कुछ समय से एक घूमकेतू घूम रहा था। जिसे बिना दूरबीन के देखा जा सकता था। इस घूमरेतू को टूटते तारे के तौर लोग जानते हैं। लेकिन अब आप इस टूटते हुए तारे को कभी नहीं देख पाएंगे। ये हमेशा के लिए आसमान से गायब हो गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि, 6800 साल बाद ये वापस आये। लेकिन यह अब इनर सोलर सिस्टम को छोड़कर जा चुका है। यह भी दूसरे धूमकेतुओं की तरह बर्फ, चट्टानों और धूल से बना है और सूरज का चक्कर काट रहा है। सूरज के करीब आने से इनके गैस और धूल और इलेक्ट्रिक चार्ज पूंछ की तरह दिखने लगते हैं। जिसकी वजह से जब ये रात में दिखता है तो टूटते तारे की तरह दिखता है। इस धूमकेतू को मार्च में ही ढूंढा गया है।
इसकी सबसे खास बात यह रही है कि आम लोगों के लिए बिना दूरबीन या किसी अडवांस्ड इंस्ट्रूमेंट के भी इसे देखना मुमकिन था। जिनके पास आम दूरबीन या छोटे टेलिस्कोप थे, उन्हें यह ज्यादा साफ दिखा। यह इतना चमकदार था कि वैज्ञानिक दूसरे धमूकेतुओं की तुलना में कहीं ज्यादा डेटा इकट्ठा कर सके। अभी यह बाहरी सोलर सिस्टम में जा रहा है। 6,800-7,000 साल में सूरज का एक चक्कर पूरा करता है और अभी धरती से करोड़ मील दूर है। इसलिए धरती को इससे को खतरा भी नहीं है।
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नासा के वैज्ञानिकों ने पहले ही इस धूमकेतू के शुरू होने से पहले खत्म हो तक की जानकारी पहले ही लोगों को दे दी थी। भारत के कई हिस्सो में ये जुलाई के महीने में देखा गया। इस धूमकेतू को देखने बाद फिल्मों की याद आ जाती थी। लेकिन अब आप इस जीवन में तो इसे नहीं देख सकेंगे लेकिन आने वाली आपकी पीढी इस खूबसूरत नजारे को दोबारा से 6800 साल बाद देख सकेगी।