मथुरा/वाराणसी। बसंत पंचमी ने रंगों के त्योहार होली का आगाज हो गया। मंगलवार को कान्हा की नगरी में जमकर प्रेम का रंग बरसा तो भोले की नगरी काशी में भक्त तिलकोत्सव की खुशी में झूमते रहे। भक्तों ने धूमधाम से बाबा का तिलक चढ़ाया।
काशी में बाबा का तिलकोत्सव टेड़ीनीम में महंत आवास से शुरू हुआ। घराती और बराती भोले की मस्ती में झूमते रहे। बसंत पंचमी पर तिलक के बाद शिवरात्रि पर बाबा का गौरा संग विवाह होगा।
मंगलवार की सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित चढ़ाया गया। भोग लगाने के बाद पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच तरह के फलों के रस से रुद्राभिषेक किया। 11.45 बजे फिर एक बार बाबा को स्नान कराया गया। दोपहर 12 बजे के बाद बाबा को भोग लगा। महिला भक्तों ने मंगलगान किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे। बाद में पूरे वैदिक विधि विधान से बाबा का तिलकोत्सव हुआ।
वंदावन में गूंजा-जय कन्हैया लाल की
बसंत पंचमी के मौके पर ब्रज में 40 दिन का होली महोत्सव शुरू हो गया। सुबह स्नान के बाद ठाकुरजी ने अपने भक्तों के साथ होली खेली। हर तरफ अबीर गुलाल उड़ा। भक्त जय कन्हैया लाल की और राधे-राधे के जयघोष करते रहे।
बसंत के आगमन पर कान्हा की नगरी में सभी प्रमुख मंदिरों में होली के कार्यक्रम हुए। सभी मंदिरों में भक्तों पर अबीर गुलाल बरसाया गया। हर कोई सात रंगों में रंगा नजर आया। रंगों ने कुछ देर के लिए छोटे-बड़े और काले-गोरे का भेद मिटा दिया।
अब से होली तक बहेगी रंगों और गीतों की रसधार
अब से होली तक बरसाने, वृंदावन, मथुरा और गोकुल में रंगों की रसधार बहेगी। मंदिरों से लेकर घरों तक होली के कार्यक्रम होंगे। वृंदावन के दर्शन करने के लिए आने वाले श्रद्धालु भी अब रंगों में सराबोर हो सकेंगे। होली को लेकर तमाम मंदिरों और दूसरे स्थानों की कार्यक्रम की तैयारी शुरू हो गई है।