नई दिल्ली। यूपीए सरकार के दौरान हुए कोयला घोटाला मामले में आरोपी कांग्रेस नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने तीन साल की सजा सुना दी है। सीबीआई की विशेष अदालत के जज भरत पारशर ने सजा सुनाते हुए कहा कि कोयला घोटला मामले में मधु कोड़ा, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु कोड़ा के सहोयोगी विजय जोशी और केंद्रीय कोयला सचिव एचसी गुप्ता को ये अदालत तीन-तीन साल की सजा सुनाती है। इसी के साथ विसुल कंपनी पर कोर्ट ने 50 लाख का जुर्मना भी लगाया।
जांच एजेंसी ने सभी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी), 409 (सरकारी कर्मचारी द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा के तहत केस दर्ज किया था। कैग (भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) ने मार्च 2012 में अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में तत्कालीन सरकार पर आरोप लगाया था कि उसने 2004 से 2009 तक की अवधि में कोल ब्लॉक का आवंटन गलत तरीके से किया है। दरअसल इन सब पर आरोप है इन्होंने साल 2007 में हुए कोयला घोटाले के वक्त अपने पदों का दुरुपयोग किया था। इनके खिलाफ बहुचर्चित कोयला घोटाले में कोलकाता की कंपनी विनी आयरन एंड स्टील उद्योग लिमिटेड (विसुल) को गलत तरीके से राजहरा नॉर्थ कोल ब्लॉक आवंटित करने का आरोप है, जोकी झारखंड के पलामू में है।
नॉर्थ कोल ब्लॉक विसुल को आवंटित करने के लिए सरकार और इस्पात मंत्रालय ने कोई अनुशंसा नहीं की थी। तब तत्कालीन कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार बसु की सदस्यता वाली 36वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने अपने स्तर पर ही इस ब्लॉक को आवंटित करने की सिफ़ारिश कर दी थी, जिसको आधार बनाकर तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने ये कोयला खदान विसुल को आवंटित की थी। मधु कोड़ा 14 सितंबर 2006 को झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे तब वे किसी भी दल से जुड़े हुए नहीं थे। बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता था। वे 23 अगस्त 2008 तक इस पद पर रहे और वो देश के तीसरे ऐसे मुख्यमंत्री बने थे जिन्होंने प् निर्दलिय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था।