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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने किया संबोधन विकास योजनाओं पर बोले

त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने 74वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर पुलिस लाईन देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में ध्वजारोहण किया। उन्होंने कोरोना वारियर्स को सम्मानित भी किया। इस दौरान उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड की परिस्थितियों में उद्योगों को अनेक प्रकार से राहत दी गई हैं। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना और पं.दीनदयाल उपाध्याय होम-स्टे योजना में ऋण लेने वालों को अप्रेल से जून माह तक ब्याज पर छूट दी गई। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केंद्र सरकार के सहयोग से केन्द्र की लगभग एक लाख करोड़ रूपए की विभिन्न परियोजनाएं प्रदेश के लिए स्वीकृत हुई हैं। बहुत सी योजनाओं पर तेजी से काम भी चल रहा है। इनमें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना, चारधाम सड़क परियोजना़, केदारनाथ धाम पुनर्निर्माण, भारतमाला परियाजना, जमरानी बहुद्देशीय परियोजना, नमामि गंगे, देहरादून स्मार्ट सिटी आदि प्रमुख हैं।

एयर कनेक्टीवीटी पर विशेष जोर

सड़क, रेल व एयर कनेक्टीवीटी में काफी विस्तार हुआ है। एयर कनेक्टीवीटी पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य में 27 हेलीपोर्ट विकसित किए जा रहे हैं। राज्य में उच्च स्तरीय संस्थाओं की स्थापना की है। इनमें देहरादून में देश का पहला ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर, डोईवाला में सीपेट, कोस्ट गार्ड भर्ती सेंटर, नेशनल लाॅ यूनिवर्सिंटी, अल्मोड़ा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑन नेचुरल फाईबर शामिल हैं। भारत सरकार ने भारत नेट फेज -2 परियोजना के लिए 2 हजार करोड़ रूपए की स्वीकृति दी है। ‘‘हर घर को नल से जल’’ योजना में प्रदेश के 15 लाख से अधिक परिवारों को स्वच्छ जल दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। तीन वर्षों में ये लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 1 रूपए पर पानी का कनेक्शन दिया जा रहा है। नमामि गंगे में 15 प्राथमिकता के शहरों में नए एस.टी.पी. निर्माण किए गए हैं। हरिद्वार में देश का पहला हाईब्रिड एन्यूटी माॅडल पर आधारित 14 एमएलडी क्षमता का एसटीपी स्थापित किया जा चुका है।

भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था होगा प्रदेश: त्रिवेन्द्र

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सरकार में विकास का मूलमंत्र, सुशासन है। उत्तराखण्ड को भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था देने का हर सम्भव प्रयास किये जा रहे हैं। ई-केबिनेट, ई-ऑफिस, सीएम डैश बोर्ड उत्कर्ष, सीएम हेल्पलाईन 1905, सेवा का अधिकार और ट्रांसफर एक्ट की पारदर्शी व्यवस्था के चलते कार्यसंस्कृति में गुणात्मक सुधार हुआ है। टिहरी गढ़वाल में डोबरा चांठी पुल सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण है। 14 साल के लम्बे इंतजार के बाद टिहरी को प्रतापनगर से सीधे जोड़ने के लिए डोबराचांठी पुल बनकर तैयार हो गया है। पिछले लगभग साढ़े तीन वर्षों में उत्तराखण्ड ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय फलक पर उत्तराखण्ड अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर मिले पुरस्कार इस बात की पुष्टि करते हैं। नीति आयोग द्वारा जारी ‘‘भारत नवाचार सूचकांक 2019’’ में पूर्वोत्तर एवं पहाड़ी राज्यों की श्रेणी में उत्तराखण्ड सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों में शामिल है।

राज्य को मिले पुरस्कार

राज्य को 66वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में बेस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट घोषित किया गया। स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखंड को सात पुरस्कार मिले हैं। ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान में ऊधमसिंह नगर जिले को देश के सर्वश्रेष्ठ 10 जिलों में चुना गया। उत्तराखंड को खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दूसरी बार कृषि कर्मण प्रशंसा पुरस्कार दिया गया। जैविक इंडिया अवार्ड 2018 के साथ ही मनरेगा में देशभर में सर्वाधिक 16 राष्ट्रीय पुरस्कार राज्य को मिले। मातृत्व मृत्यु दर में सर्वाधिक कमी के लिए उत्तराखण्ड को भारत सरकार से पुरस्कृत किया गया है।

निवेश पर जोर

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सरकार ने राज्य में निवेश लाने के लिए पूरी गम्भीरता से काम किया। हमने राज्य में शांति व कानून व्यवस्था, प्रभावी सिंगल विंडो, इन्वेटर्स फे्रंडली सिस्टम और दक्ष मानव संसाधन के प्रति हमने निवेशकों को भरोसा दिलाया है। उद्यमियों, औद्योगिक संस्थाओं द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल करते हुए निवेश के अनुकूल नीतियों में संशोधन किया गया और नई नीतियों का निर्माण किया। इसी का परिणाम है कि इन्वेस्टर्स समिट के बाद पहले चरण में 24 हजार करोड़ रूपए से अधिक के निवेश की ग्राउंडिंग हो चुकी है। पर्वतीय क्षेत्रों में निवेश के लिए पर्यटन, आयुष व वेलनेस, आईटी, सौर ऊर्जा सहित सर्विस सेक्टर पर विशेष फोकस किया गया है।

रिवर्स पलायन पर हो रहा काम

पर्वतीय राज्य की अवधारणा से बने उत्तराखण्ड में पहली बार रिवर्स पलायन पर सुनियोजित तरीके से काम शुरू किया है। एमएसएमई के केंद्र में पर्वतीय क्षेत्रों को रखा गया है। ग्रामीण विकास और पलायन आयोग का गठन किया गया। आयोग ने जिलावार अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट दी जिसके अनुसार योजनाएं बनाई जा रही है। सीमांत तहसीलों के लिए मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना शुरू की है। सभी न्याय पंचायतों में क्लस्टर आधारित एप्रोच पर ग्रोथ सेंटर बनाए जा रहे हैं। 96 ग्रोथ सेंटरों को मंजूरी भी दी जा चुकी है। बहुत से ग्रोथ सेंटर शुरू भी हो चुके हैं। इससे ग्रामीण आर्थिकी मजबूत हो रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को तीन लाख रूपए और महिला स्वयं सहायता समूहों को पांच लाख रूपए तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। होम स्टे योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

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