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सीएम रावत ने किया हरीश रावत द्वारा गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर दिये गये धरने पर पलटवार

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर दिये गये धरने पर पलटवार करते हुए कहा कि हरीश रावत को इस प्रकरण पर अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्हे यह भी बताना चाहिए कि जब वे मुख्यमंत्री थे तो तब उन्होंनें गन्ना किसानों के लिये क्या किया। आज वे निजी चीनी मिलों के प्रवक्ता बने हुए है। जब वे मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इसकी चिन्ता नही की। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश की सहकारी व सरकारी चीनी मिलों द्वारा पेरे गये समस्त गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को कर दिया है। यही नही हमारी सरकार द्वारा किसानों को धान के मूल्य का भुगतान भी 10 दिन में किया गया है। यह एक रिकार्ड है।

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बता दें कि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने हरीश रावत को सुझाव दिया कि उन्हें निजी चीनी मिलों के सामने गन्ना किसानों के साथ धरना देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में हरीश रावत दोहरी चाल चल रहे है। आज उन्हें निजी चीनी मिल मालिकों का हित सर्वोपरि लग रहा है। यदि हरीश रावत किसानों के सच्चे हितेषी है तो उन्हें निजी चीनी मिलों के बाहर किसानों को साथ लेकर धरना देना चाहिए।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने इस प्रकरण पर पुनः स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि पेराई सत्र 2017-18 में सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों में पेरे गये कुल देय गन्ना मूल्य रु 440.41 करोड़ का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जा चुका है तथा कोई भी गन्ना मूल्य अवशेष नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने वर्ष 2017-18 व 2018-19 में सरकारी एवं सार्वजनिक चीनी मिलों को 507.61 करोड की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई गई जबकि श्री हरीश रावत के मुख्यमंत्री के दौरान वर्ष 2015-16 व 2016-17 में यह धनराशि 231.59 करोड थी। राज्य की निजी क्षेत्र की चीनी मिलों (इकवालपुर, लक्सर एवं लिब्बरहेडी) के पेराई सत्र 2017- 18 के अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान दिये जाने हेतु राज्य सरकार द्वारा सॉफ्ट लोन दिये जाने पर विचार किया जा रहा है।

साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य की निजी क्षेत्र की चीनी मिलों द्वारा पेराई सत्र 2017-18 में 270.26 लाख कुन्टल गन्ने की पेराई की गयी। उक्त पेरे गये गन्ने के कुल देय मूल्य रु 851.98 करोड़ के सापेक्ष रु 655.18 करोड़ का भुगतान सम्बन्धित चीनी मिलों द्वारा किया जा चुका है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा निजी क्षेत्र की चीनी मिलों को रु 4.50 प्रति कुन्टल की दर से वित्तीय सहायता प्रदान किये जाने तथा पेराई सत्र 2017-18 के अवशेष गन्ना मूल्य भुगतान हेतु सस्ते दर पर ऋण दिये जाने का निर्णय लिये जाने के फलस्वरूप राज्य के लगभग 72 हजार कृषक इससे लाभान्वित होंगे।

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