जयपुर। राजस्थान की वसुंधरा सरकार ने अपने कार्यकाल का आखिरी बजट पेश कर दिया है। सीएम वसुंधरा राजे ने खुद राज्य को इस साल सरकार की तरफ से दी जाने वाली सौगातों का ऐलान किया। सीएम के बजट भाषण के दौरान उनका एक अलग ही अंदाज देखने को मिला। सीएम ने अपने बजट भाषण को कविताओं और शायरियों के अंश से सराबोर कर दिया, जिसे देखकर विपक्ष समेत सत्ता पक्ष के विधायक भी हक्के-बक्के रह गए, भई हो भी क्यों सीएम का ये शायराना अंदाज आखिकार पहली बार देखने को जो मिला था। सीएम की कुछ शायरियों ने जहां सरकार के नजरिए को बताया तो कुछ ने तालियां बटोरी। सीएम राजे ने अपने इरादों को भी इन्हीं शायरियों के जरिए जताया।
विधानसभा का शायरानां माहौल
मंजिल यूं ही नहीं मिलती दोस्त,
एक जुनून जगाना पड़ता है।
पूछा चिड़िया से घौंसला कैसे बनता है
बोली तिनका तिनका उठाना पड़ता है।
यह मंजिल बड़ी जिद्दी होती है, हासिल कहां नसीब से होती है।
मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, जहां कश्तियां ज़िद पर होती है।
मैं किसी से बेहतर करुं तो क्या फर्क पड़ता है
मैं किसी के लिए बेहतर करुं तो फर्क पड़ता है।
बजट की खास बाते
पर्यावरणीय कारणों से राजस्थान में बजरी खनन पर रोक है। इसके चलते कई बड़े प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए बजरी खनन के छोटे पट्टे जारी किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने बजट में किसानों के लिए एक और बड़ी घोषणा की है। इसका फायदा प्रदेश के करीब 50 लाख किसानों को होगा। बजट भाषण में उन्होंने कृषि भूमि पर लगने वाले भू-राजस्व को माफ करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा कि इसका फायदा प्रदेश के 50 लाख किसानों को होगा। इसके साथ ग्रामीण इलाकों में कृषि भूमि के आवासीय उपयोग परिवर्तन के लिए देय राशि में भी कटौती की है। बजट में सस्ते मकानों के लिए डीएलसी दरों में भी कटौती की है। उन्होंने कहा कि मौजूदा डीएलसी में 10 फीसदी की कमी की जाएगी।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान में व्यापारी कल्याण बोर्ड की स्थापना करने की घोषणा की। इस कोष के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। साथ ही बजट में रोजगार सब्सिड़ी की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि जीएसटी से राजस्थान को 625 करोड़ का फायदा हुआ है।