नई दिल्ली। ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है। अब उसने सिक्किम क्षेत्र को अपनी सीमा का हिस्सा बता दिया है। इसके लिए उसने 1890 में ब्रिटेन-चीन संधि का उल्लेख करते हुए कहा है कि यह क्षेत्र उसके हिस्से में आता है। यहां पर भारतीय सरकार को वह किसी तरह का निर्माण में रोकने की इजाजत नहीं है। इसलिए चीन ने सिक्किम सेक्टर में हो रहे निर्माण को वैध माना है। इस मामले में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान भी जारी किया है।
चीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा कि सड़क का निर्माण उस इलाके में हो रहा है जो कि ना तो भारत का है ना ही भूटान का। इसलिए इस इलाके में हो रहा सड़क निर्माण जायज है। संधि के मुताबिक यह क्षेत्र चीन सीमा पर स्थित है। दोंगलांग चीनी क्षेत्र का हिस्सा है जो अविवादित क्षेत्र है। यह इलाका प्राचीनकाल से ही चीन का हिस्सा रहा है। इसलिए इस इलाके में हो रहे किसी भी निर्माण पर भूटान या भारत को आपत्ति नहीं करनी चाहिए। इस मामले में किसी भी देश को हस्तक्षेप करने का कोई भी अधिकार नहीं है।
वास्तव में भारत और भूटान की ओर से सिक्किम क्षेत्र के दोंगलांग इलाके में चीन द्वारा किए जा रहे सड़क के निमार्ण का विरोध किया जा रहा है। चीन का बार-बार विरोध इसी बात को लेकर है कि भारत और भूटान का इस हिस्से पर कोई अधिकार नहीं है। तो आखिर वो क्यूं विरोध कर रहा है। इस सड़क का निमार्ण चीन की तरफ से वैध बताया जा रहा है। इस मामले में चीन का साफ कहना है कि इस क्षेत्र को लेकर उसके पास कानूनी आधार है। ऐसे में कोई भी देश उसकी संप्रभुत्ता से नहीं खेल सकता है। हमारे पास उन संधियों के दस्तावेज हैं भारत इससे बच नहीं सकता है। इनका पालन करना अंतर्राष्ट्रीय बाध्यता है।
भारत और चीन के बीच पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान सिक्किम से सीमा पर चीनी सैनिकों की घुसपैठ की कोशिशों का मामला सामने आया था। इस बारे में सोमवार को चीनी प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारतीय जवानों ने सिक्किम सीमा को पार कर घुसपैठ की कोशिश की उन्होने ने दोंगलांग इलाके में हमारी सेना की गतिविधियों को बाधित किया। जिसको चीनी सैनिकों ने रक्षात्मक तरीके से रोका है। विदेश मंत्रालय की माने तो भारत ने ही भूटान की ओर से इस सड़क के निर्माण पर रोक लगाई है।
चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से ये बयान तब आया है जब चीनी सेना द्वारा बनाई जा रही सड़क का निर्माण भारत की तरफ से रोक दिया गया है। इस पर चीनी सरकार का कहना है कि भूटान और चीन की सीमाएं सही ढंग से निरूपित नहीं है। ऐसे में दो संप्रभुता सम्पन्न राष्ट्रों के बीच तीसरे देश को बोलने का अधिकार नहीं होना चाहिए ना ही इस निर्माण को रोकने और आपत्ति उठाने का अधिकार है।