बीजिंग। चीन के संविधान में महत्वपूर्ण और बड़ा बदलाव होने के बाद एक बार फिर शी जिंपिंग को अगले पांच साल के लिए चीन का राष्ट्रपति निर्वाचित कर दिया गया है। बता दें कि रंबर स्टांप मानी जाने वाली चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने कुछ दिन पहले राष्ट्रपति के कार्यकाल की समयसीमा को समाप्त कर दिया था। अब जिनपिंग को उनकी इजाजत के बिना कोई भी राष्ट्रपति के पद से नहीं हटा सकता। शी को राष्ट्रपति के साथ-साथ चीन की ताकतवर सेंट्रल मिलिट्री कमिशन का भी प्रमुख चुना गया है, जिसके अंदर चीनी सेना आती है। दरअसल 11 मार्च को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के 2900 से अधिक सांसदों ने राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के दो कार्यकाल की समयसीमा खत्म करने के मकसद से सत्तारूढ़ चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी की तरफ से प्रस्तावित संवैधानिक संधोधन के लिए मतदान किया था।
दो बार के कार्यकाल पर समयसीमा लगने के कारण शी को वर्ष 2023 तक सीपीसी प्रमुख ,सेना एवं राष्ट्रपति के तौर पर सेवानिवृत्त होना था। शी वर्ष 2013 में चीन के राष्ट्रपति चुने गए थे। माओ के निधन के बाद पार्टी ने दो बार के कार्यकाल पर समयसीमा लगाने काे स्वीकृति दी थी, ताकि ये सुनिश्विच हो कि भीषण सांंस्कृतिक क्रांति जैसी गलतियों को टालने के लिए एक समग्र नेतृत्व सुनिश्चित किया जा सके। बता दें कि उस दौरान इस बात को मनवाने के लिए हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणे की अहुति दे दी थी। सांसदों ने सर्वसम्मति से शी को राष्ट्रपति चुना है।
चीन में एक बार फिर सत्ता की बागडोर अपने हाथों में लेने वाले शी जिनपिंग के पक्ष में 2,970 वोट पड़े है। इसके अलावा वांग किशान को 2,969 मतों के साथ उपराष्ट्रपति के तौर पर चुन लिया गया। प्रधानमंत्री ली केकियांग को छोड़कर सेंट्रल बैंक के गवर्नर के अलावा समूचे कैबिनेट सहित सभी शीर्ष पदों पर नये अधिकारी होंगे। बताते चलें कि शी के खिलाफ एक भी वोट नहीं गया और न ही कोई इस दौरान संसद से नदारद रहा। वह केंद्रीय सैन्य आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी दोबारा निर्वाचित हुए हैं, जिसका मतलब है कि वह देश में तीन सर्वाधिक सशक्त स्थानों पर काबिज रहेंगे। शी राष्ट्रपति के साथ-साथ सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च भी हैं और साथ ही कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव भी हैं।