बीजिंग। जनता के विरोध को बावजूद चीन में उत्तर कोरिया के तर्ज पर संविधान लागू हो गया है। दरअसल संविधान लागू होने के बाद चीन के मौजूदा राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब अपनी अंतिम सांस तक चीन का शासन चलाएंगे। चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए अधिकतम दो कार्यालय की सीमा को समाप्त करते हुए जीवन भर के लिए राष्ट्रपति के पद पर एक इंसाफ के तानाशाह के रुप में राज करने का रास्ता साफ कर दिया है। दरअसल इस प्रस्ताव को खत्म करने के लिए संसद डीलीगेट्स के दो तिहाई वोटों की जरूरत थी। कुल 2962 डेलिगेट्स में से महज दो वोट प्रस्ताव के विरोध में पड़े और बाकी सभी वोट प्रस्ताव के पक्ष में पड़े।
प्रस्ताव के पक्ष में डेलीगेट्स के मतदान के बाद इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। आपको बता दें कि जिनपिंग पिछले साल अक्टूबर में चीन के दूसरी बार राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे और उनका ये कार्यकाल 2023 में समाप्त होना था, लेकिन अब नए संविधान के लागू होने से वो अपनी आखिरी सांस तक चीन के राष्ट्रपति बने रहेंगे। इस प्रस्ताव का सीधा सा अर्थ यही निकलता है कि जिनपिंग साल 2023 के बाद भी राष्ट्रपति बने रहना चाहते हैं इसलिए वो इस प्रस्ताव को संसद में लेकर आए। हालांकि जिनपिंग अपनी इच्छा से राष्ट्रपति के पद को किसी और को दे सकते हैं और खुद इस पद से हट सकते हैं। संसद में मतदान से पहले सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना की सात सदस्यीय स्थाई समिति ने इस संशोधन को आम सहमति से मंजूरी दी थी।
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अधिकारियों को भ्रष्टाचार से दूर रहने की चेतावनी दी है। न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार संविधान संशोधन के बाद अपने भाषण में जिनपिंग ने कहा कि आप स्वयं को नीचे न गिरने दें और न ही अपने परिवार को आपके नाम का दुरुपयोग करने दें। लोगों को अपने ऊपर कीचड़ उछ़ालने का कोई मौका न दें। अधिकारी नियम न तोड़ें, लक्ष्मण रेखा न लांघे और प्रशासन को भ्रष्टाचार से मुक्त बनाने में योगदान करें। पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष माओ त्से तुंग के बाद पिछले दो दशक से पार्टी के नेता दो कार्यकाल की अनिवार्यता का पालन करते रहे थे। ताकि तानाशाही से बचा जा सके और एक दलीय राजनीति वाले देश में सामूहिक नेतृत्व सुनिश्चित किया जा सके।