नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच डोकलाम सेक्टर को लेकर बढ़ा विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इस मामले को लेकर आज देश के पूर्व रक्षामंत्री और समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने चीन पर भारतीय सरकार के तरफ से हो रही कार्रवाई को लेकर सरकार को घेरने के साथ समझाने का प्रयास किया। वहीं अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर भी अमेरिका की एक पूर्व राजनयिक ने चीन के समझाते हुए कहा है कि वो अभी तक इस मुगालते में है कि एशिया में चीन सबसे ताकतवर है लेकिन वह इस मुगालते से बाहर आकर देखे भारत को उसे ताकतवर माना ही पड़ेगा।
पूर्व अमेरिकी मंत्री भारतीय मूल की निशा देसाई ने एक साक्षात्कार में कहा कि चीन को मानना पड़ेगा कि उसकी ताकत के बराबर कोई देश खड़ा हो रहा है। चीन को मानना चाहिए कि एशिया में राजनीतिक और सुरक्षात्मक समीकरण अब बदल रहा है। चीन को इस बदलते परिवेश को समझना होगा चीन इसको नजरअंदाज कर समुद्रीय सीमाओ और जमीनी सीमाओं पर आक्रामक हरकतें कर रहा है। मुझे लगता है कि चीन खुद को एशिया में अपने प्रभाव को दिखाने के लिए आतुर है। जिसके चलते एशिया के साथ प्रशांत क्षेत्र में काफी अस्थिरता हो गई है। उन्होने भारत और चीन विवाद पर कहा कि दोनों देशों को विभिन्न बिंदुओं पर साथ बैठकर एक कूटनीतिक वार्ता कर सुलझाना चाहिए। क्योंकि दोनों देश सर्वशक्ति सम्पन्न हैं। इसके आपसी गतिरोध से एशिया में बड़ी अस्थिरता पैदा होने का खतरा बढ़ा गया है।
हांलाकि दोनों देशों के नेता इस मुद्दे को सुलझाने की ओर अग्रसर है और इस गतिरोध को रोकने में शांति से कामियाब भी होंगे। क्योंकि दोनों देश बेहद परिपक्व और समझदार हैं। इसके साथ ही एशिया में सबसे अधिक शक्ति सम्पन्न हैं। भारतीय पक्ष ने अभी तक इस पूरे मसले पर समझदारी के साथ संयम दिखाया है। अमेरिका विवादित दावों के लिए हमेशा से एकतरफा कार्रवाइयों के खिलाफ है। चीन को इस मसले पर संयम के साथ भारत से बातचीत के जरिए रास्ता ढूंढना चाहिए। क्योंकि तनाव बढ़ने से दोनों देशों के साथ एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा।