नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है लेकिन हाल ही में एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में चीन के राजनयिक दाई बिंगुओ ने इस बात की ओर इशारा किया है सालों पुराने इस विवाद को सुलझाने के लिए अदला-बदली का फॉर्मूला अपनाया जा सकता है।
दाई बिंगुओ ने कहा है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद एक बड़ी वजह चीन के जायज अनुरोध अनुसने किए गए हैं। अगर भारत पूर्वी सीमा पर चीन के हितों का खयाल रखता है चो चीन किसी और जगह पर ऐसा ही करेगा। दाई के इस बयान से ऐसा समझा जा रहा है कि उनका इशारा साफ तौर पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके के बदले भारत को उत्तर में अक्साई चिन इलाके का कब्जा देना का है।
काफी अहमियत रखता है दाई बिंगुओं का बयान:-
वैसे तो दाई बिंगुओ रिटायर हो चुके है लेकिन फिर भी उनका ये बयान कई मायनों में अहमियत रखता है। जिसकी पहली वजह उनका साल 2013 में सीमा विवाद पर भारत के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिनिधि होना था और दूसरा ये बिंगुओ सत्ताधारी पार्टी में असर रखने वाले बड़े नेता माने जाते हैं। आम तौर पर चीन में कोई भी अधिकारी इस तरह की बयानबाजी बिना सरकारी मंजूरी के नहीं दे सकता।
क्या मुनासिब है तंवाग और अक्साई चीन की अदला-बदली?
अरुणाचल प्रदेश का तवांग इलाका सामरिक नजरिए से बेहद अहमियत रखता है। तंवाग में बने मठ की तिब्बत और भारत के बौद्धों के लिए खास है। हालांकि साल 1962 में दोनों देशों जंग लड़ चुके हैं जिसके बाद चीन ने इस इलाके को पूरी तरह से खाली कर दिया था। लेकिन फिर भी चीन तवांग को दक्षिणी तिब्बत का इलाका बताता है और उस पर अधिकार तिब्बत पर चीन की पकड़ को मजबूती देता है।
वहीं अक्साई चीन की बात करें तो जम्मू-कश्मीर का सबसे पूर्वी क्षेत्र है। इसे 1962 में चीन ने पाकिस्तान को सौंप दिया था लेकिन भारत इस समझौते को नहीं मानता। आपको बता दें कि तिब्बत और चीन के जिनजियांग प्रांत को जोड़ने वाला हाईवे अक्साई चिन से होकर गुजरता है। इसके अलावा चीन -पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर के मद्देनजर भी इस इलाके की अहमियत काफी बढ़ जाती है।