- भारत खबर || नई दिल्ली
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिक बार-बार भारतीय सैनिकों को उकसा रहे हैं और पिछले दिनों उकसावे के चलते एक बड़ा हादसा या बड़ा मामला होने से बचा है। पिछले दिनों हुए गंभीर उकसावे के मामले में भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को पकड़ते हुए ब्लैक टॉप पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से चीन लगातार इस कोशिश में है कि पुनः वह ब्लैक टॉप पर अपना अधिपत्र जमा लें।
आपको बता दें कि पीएलए के कई सैनिक पिछले दिनों भारत की सीमा की ओर मध्ययुगीन हथियारों से लैस होकर हमला करने के मूड से दिख रहे थे। उनके हाथों में छड़, भाले और रॉड आदि थे। 7 सितंबर को भी स्पष्ट रूप से भारतीय सैनिकों को भड़काने का प्रयास किया गया, चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों को डराने के प्रयास में हवा में कुछ राउंड गोलियां भी चलाईं। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के करीब 50 सैनिक सोमवार की शाम पूर्वी लद्दाख में रेजांग-ला रिज लाइन के मुखपारी चोटी के पास स्थित भारतीय चौकी की ओर आक्रामक तरीके से बढ़ रहे थे।
चीनी सैनिकों के हाथों में मध्ययुगीन हथियार ‘गुआनदाओ’ भी शामिल था। गुआनदाओ एक परंपरागत चीनी हथियार है जिसे चीनी मार्शल आर्ट में प्रयुक्त किया जाता है। किंवदंती है कि इस धातक हथियार का नाम चीनी जनरल गुआन यू के नाम पर रखा गया था, जो लगभग 2,000 साल पहले थे। हालांकि, हथियार का पहला प्रलेखित उपयोग 11वीं शताब्दी से पहले का है। ये कई आकृतियों और आकारों में होता है। इसमें एक लंबी धातु या लकड़ी के डंडे पर ऊपर धारदार ब्लेड लगा होता है। इसका उपयोग सदियों से हो रहा है। ये काफी घातक साबित हो सकता है। मध्ययुगीन और प्राचीन चीनी हथियारों में नए सिरे से रुचि पैदा हुई है और स्टाइलिश रूप से सजावटी गुआनदाओ ऑनलाइन उपलब्ध हैं।
सरकारी सूत्रों ने कहा कि हो सकता है कि चीन की सेना ने योजना बनाई हो कि सोमवार शाम भारतीय सेना को उसी तरह की झड़प में फंसाया जाए जैसी झड़प गलवान घाटी में हुई थी। जब भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को वापस जाने के लिए मजबूर किया, तो उन्होंने भारतीय सैनिकों को भयभीत करने के लिए हवा में 10-15 गोलियां चलाईं। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल के अंतराल के बाद गोली चली है। इससे पहले एलएसी पर गोली चलने की घटना 1975 में हुई।