नई दिल्ली। चीन के एक बार फिर धमकी भरे तेवर भारत समेत दुनियां के कई देशों को देखने पड़े हैं। चीन ने पूरी दुनियां के तमाम नेताओं और सरकारों को चेताते हुए कहा है कि तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा से मुलाकात करने या संबंध रखने को एक गम्भीर अपराध माना जायेगा। चीन इसके पहले कई बार दलाई लामा को लेकर अपना कड़ा विरोध जता चुका है। चीन का आरोप है कि दलाई लामा तिब्बत को चीन से अलग करने का काम करते हैं। चीन का मानना है कि अगर दुनियां के देशों को चीन के साथ कूटनीतिक रिश्ते रखने हैं तो उन्हें तिब्बत को चीन का हिस्सा मानना होगा।
चीन में मौजूदा वक्त में सत्तारूढ़ दल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन के यूनाइटेड फ्रंड वर्क विभाग के उपाध्यक्ष झांग यीजियोंग ने कहा कि दुनियां के किसी देश की सरकार या नेता ने दलाई लामा को मिलने का न्यौता दिया या मुलाकात की तो हमारी नजर में वो देश और नेता चीनी भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा होगा। जिसको हम सब एक गंभीर अपराध मानेंगे। क्योंकि इस तरह वो तिब्बत पर चीन सरकार के शासन को वैध नहीं मानने का उल्लघंन करेंगे।
झांग ने दलाई लामा पर और उनकी यात्रा और मुलाकात पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि वे धार्मिक यात्रा के नाम पर राजनीति कर रहे हैं। हम इनकी धार्मिक नेता के तौर पर मिलने या मुलाकात के किसी भी तर्क को स्वीकार नहीं करेंगे। दलाई लामा धर्म की आड़ पर राजनीति करते हैं, इन्होने 1959 में अपनी मातृभूमि के साथ धोखा दिया। इसके बार ये दूसरे देश में भाग गए जहां एक अवैध सरकार बना कर धर्म की आड़ में राजनीति कर रहे हैं। हांलाकि भारत का नाम झांग ने कहीं नहीं लिया लेकिन भारत पर चीन दलाई लामा और उनकी यात्राओं को लेकर कई बार दबाव बनाता रहता है। हांलाकि चीन के विरोध का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।