बीजिंग। चीन और अमेरिका के बीच हमेशा ही मतभेद देखा जा सकता है। एक और मतभेद उस वक्त देखा गया जब चीन ने अमेरिका के विवादित दक्षिण चीन सागर में उसके द्वारा निर्मित कृत्रिम द्वीप के निकट आ रहे एक अमेरिकी मिसाइल विध्वंसक को ‘दूर रहने की चेतावनी देने के लिए’ नौसैन्य पोत और सैन्य विमानों को भेजा है और वाशिंगटन के इस कदम को ‘उकसावे की गंभीर राजनीतिक और सैन्य कार्रवाई’ करार देते हुए इसकी निंदा की है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लु कांग ने कल बताया कि चीन ने अमेरिकी पोत को दूर रहने की चेतावनी देने के लिए सैन्य पोतों और लड़ाकू विमानों को भेजा है। सरकारी संवाद समिति ‘शिन्हुआ’ ने बताया कि मिसाइल विध्वसंक ‘यूएसएस स्टेथेम ने शिशा द्वीप के निकट चीन के क्षेत्रीय जल में अनधिकृत प्रवेश’ किया।
लु का कहना है कि अमेरिकी व्यवहार उकसावे की राजनीतिक और सैन्य कार्रवाई के बराबर है। उन्होंने कहा कि चीनी पक्ष इससे गंभीर रूप से असंतुष्ट है और इसकी कड़ी निंदा करता है। स्टेथेम पैरासेल द्वीपसमूह में छोटे ट्रिटन द्वीप के 22 किलोमीटर तक पास आया। इस द्वीपसमूह को चीन शिशा द्वीप करार देता है। इस द्वीप श्रृंखला पर ताइवान और वियतनाम भी दावा करते हैं। चीन पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है उसका कहना है कि पूरा दक्षिण चीन उसका है। इतना ही नहीं चीन वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से यह दूसरा अमेरिकी नौसैन्य पोत है जो विवादित द्वीप पहुंचा है।
बता दें कि लु ने कहा कि प्रासंगिक चीनी कानून में चीन सागर के क्षेत्रीय जल में विदेशी सैन्य पोतों के प्रवेश को लेकर स्पष्ट प्रावधान हैं। उन्होंने कहा कि नौवहन स्वतंत्रता के बहाने अमेरिका ने चीन के क्षेत्रीय जल में एक बार फिर सैन्य पोत भेजा है। अमेरिका ने चीनी कानून एवं प्रासंगिक अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। इसने चीन की संप्रभुता का उल्लंघन किया है, क्षेत्रीय जल में व्यवस्था, सुरक्षा एवं शांति को बाधित किया है और चीनी द्वीपों में सुविधाओं और कर्मियों को खतरे में डाला है।