बीजिंग। गुरुवार को पीएम मोदी के अरुणाचल दौर पर चीन ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि दोनों देशों की सीमा की स्थिति बिल्कुल स्पष्ट नहीं है और यहां किसी भी तरह का एक्शन सीमा विवाद को बढ़ा सकता है क्योंकि हम अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व ही नहीं मानते। चीन ने पीएम मोदी की अरुणाचल यात्रा का विरोध करते हुए कहा है कि चीन और भारत सीमा विवाद निपटाने के लिए बातचीत कर रहे हैं इसलिए कोई ऐसा काम करके विवाद उलझाए न। चीन के प्रवक्ता गेंगू शुआंग ने कहा कि चीन भारत से अपने वादे की इज्जत करने और उस पर बने रहने की अपील करता है।
उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे किसी भी एक्शन से बचना चाहिए जिससे सीमा विवाद और ज्यादा उलझे। गेंगू ने कहा कि भारत से सीमा विवाद निपटाने के लिए बातचीत कैा माहौल बनाया जाने के हम पक्षधर हैं और दोनों देशों के रिश्ते को मजबूती देने के लिए कृतस्ंकल्पित है। दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानता आया है इसलिए ईटानगर में भारत की मौजूदगी से वो हर बार बौखला जाता है। बता दें कि भारत-चीन के बीच विवादित इलाका 4000 किलोमीटर का है, लेकिन चीन का कहना है कि विवाद वाला इलाका महज 2000 किलोमीटर का है।
इसकी वजह यह है कि पाकिस्तान ने अपने कब्जे वाले कश्मीर में से अक्साई चीन को चीन के ही सुपुर्द कर दिया है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच 18 दौर की बातचीत हो चुकी है। हालांकि, अब तक नतीजा नहीं निकल सका है। चीन के साथ भारत का विवाद 64 साल पुराना है। इसका एक बड़ा कारण इंटरनेशनल बॉर्डर क्लियर न होना है। भारत मानता है कि चीन जानबूझकर इस विवाद का हल नहीं कर रहा है। भारत मैकमोहन लाइन को सही मानता है। चीन इस लाइन को अवैध बताता है।