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चीन को लेकर भारत की रुस को खरी-खरी..

modi चीन को लेकर भारत की रुस को खरी-खरी..

नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर से रुस को लेकर चीन को चेतावनी दी हैं। इस परिप्रेक्ष्य में रूस को लगने लगा कि भारत अब उन पुराने रिश्ते को लेकर संजीदा नहीं है, लिहाजा रूस और चीन एक दूसरे के करीब आने लगे। लेकिन अब भारत ने साफ कर दिया है कि एनएसजी में सदस्यता के मुद्दे पर रूस को चीन पर दबाव बनाना ही होगा।

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भारत-रुस रिश्तो में दरार…
2000 के बाद सिविल न्यूक्लियर के मुद्दे पर अमेरिका और भारत के बीच करीबी बढ़ी। कुडनकुलन परमाणु प्रोजेक्ट पर जिस तेजी से काम होना चाहिए वो आगे नहीं बढ़ पा रहा था। वहीं परमाणु ऊर्जा के मुद्दे पर भारत की अमेरिका खुल कर तरफदारी करने लगा था। ध्यान देने वाली बात ये है कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अमेरिका और रूस एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं। इसके अलावा एनएसजी के मुद्दे पर रूस के रुख से भारत को निराशा हुई। भारत को लगता है कि रूस को जितनी सक्रियता दिखानी चाहिए थी, उसने नहीं दिखाई।

गौरतलब हैं कि पिछले कुछ समय से रूस और चीन में नजदीकियां बढ़ी हैं। भारत को एनएसजी की सदस्यता दिलवाने में रूस अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं कर रहा है। कहीं न कहीं रूस भी इस बात को समझ रहा है कि चीन के साथ उसकी दोस्ती इस समझौते पर भारी पड़ रही है और भारत इसे टालने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में भारत दौरे पर आये रूस के उपप्रधानमंत्री दिमत्री रोगोजिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाया था।लेकिन भारत की ओर से इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। जून में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी की मुलाकात होनी है। लिहाजा रूस भी मोदी सरकार से रुख से परेशा

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