नई दिल्ली। चीन ने ग्वादर बंदरगाह और 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत आने वाले व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी नौसेना को दो पोत सौंपे हैं। समाचार चैनल ‘डॉन न्यूज’ के अनुसार सीपेक के समुद्री मार्ग की साझा सुरक्षा के लिए कल पाकिस्तानी नौसेना को दो पोत सौंपे गए। पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में पड़ने वाले ग्वादर बंदरगाह को सीपेक के तहत विकसित किया जा रहा है जो पश्चिमी चीन को वाया पाकिस्तान पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने का काम करेगा।
‘हिंगोल’ और ‘बासोल’ नामक दो पोत पाकिस्तानी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी वायस एडमिरल आरिफुल्ला हुसैनी के सुपुर्द किए गए। हाल ही में चीन में निर्मित ये पोत पाकिस्तानी नौसेना का हिस्सा होंगे और इनका इस्तेमाल अरब सागर में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए किया जाएगा। इन पोतों को सौंपे जाने के मौके पर ग्वादर में एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें चीन के कई अधिकारी मौजूद थे। पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी के महानिदेशक रियर एडमिरल जमील अख्तर, कमांडर (पश्चिम) कोमोडार मोहम्मद वारिस और वरिष्ठ नौसेन्य एवं असैन्य अधिकारी इस मौके पर उपस्थित थे। वायस एडमिरल हुसैनी ने कहा, ‘‘चीनी पोत आज पाकिस्तानी नौसेना का हिस्सा बने। इन पोतों के शामिल होने से नौसेना और मजबूत होगी।’’
इससे पहले पिछले दिनों खबर आई थी कि एशिया में भारत के बढ़ते प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए चीन ने पाकिस्तानी के कराची हार्बर पर एक परमाणु पनडुब्बी तैनात की थी। गूगल अर्थ की एक सैटेलाइट तस्वीर में इस बात का खुलासा हुआ है। पारपंरिक पनडुब्बियों से इतर, परमाणविक पनडुब्बियों के पास असीमित रेंज तक हमला करने की शक्ति होती हैं, क्योंकि उनके परमाणु रिएक्टर को रीफिल करने की जरूरत बहुत कम पड़ती है। टारपीडो और क्रूज मिसाइल्स से लैस यह पनडुब्बियां पानी के नीचे लंबे समय के लिए तैनात की जाती हैं, जहां उन्हें ट्रैक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। चीनी पनडुब्बी की यह तस्वीर एक सैटेलाइट इमेजरी एक्सपर्ट ने पकड़ी, इसमें दिख रहा पनडुब्बी चीनी नौसेना की टाइप 091 ‘हान’ क्लास फास्ट अटैक सबमरीन है। यह चीन द्वारा तैनात की गई परमाणु शक्ति संपन्न पहली पनडुब्बियों में से एक है।