नई दिल्ली। पुलवामा हमले के बाद जहां एक ओर पूरी दुनिया आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ी दिख रही है, वहीं चीन ने इस हमले पर दोहरा रुख अपनाया है। चीन ने आतंकी हमले की निंदा की और शहीदों के प्रति अपनी संवेदना जाहिर की, लेकिन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेररिस्ट लिस्ट में डालने पर वही पुराना राग दोहरा दिया। चीन इस मामले में अपनी वीटो का इस्मेलाल कर मसूद अजहर को इस लिस्ट में डालने का विरोध कर चुका है। आतंकी संगठन जैश का नाम साल 2002 से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल है, लेकिन जैश के सरगना मसूद अजहर का नाम संयुक्त राष्ट्र की ग्लोबल टेररिस्ट लिस्ट में नहीं है। इसके पीछे सिर्फ चीन का हाथ है जो सुरक्षा परिषद में अपनी वीटो ताकत का इस्तेमाल कर लगातार भारत की कोशिशों की राह में रोड़े अटका रहा है।
बता दें कि पुलवामा हमले के बाद चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग की ओर जो बयान आया, जिसमें कहा गया है कि आतंकी संगठनों को लिस्ट में डालने के लिए UN की 1267 कमेटी के नियम साफ हैं जिसमें यह तय किया जाता है कि किसका नाम इस लिस्ट में रखा जाए और किसका नहीं। इस जवाब से साफ है कि आतंकी मसूद अजहर का नाम ग्लोबल टेररिस्ट की लिस्ट में शामिल हो, ऐसा चीन नहीं चाहता है। जम्मू- कश्मीर के पुलवामा में बीते गुरुवार को हुए आतंकी हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। भारत के विदेश मंत्रालय ने हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए दुनिया के मुल्कों से मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट के लिस्ट में शामिल कराने की अपील की थी।
वहीं विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस कायराना हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया जिसे UN और अन्य देशों ने आतंकी संगठनों की लिस्ट में शामिल किया है। इस आतंकी गुट का सरगना अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी मसूद अजहर है जिसे पाकिस्तान सरकार की तरफ से संचालन और विस्तार कर भारत और अन्य जगहों पर हमले की खुली छूट मिली हुई है। भारत ने अपील करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जैश सरगना मसूद अजहर समेत अन्य आतंकियों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ग्लोबल टेररिस्ट में शामिल करने और पाकिस्तान की धरती से संचालित आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करें।