featured दुनिया

भारत को धोखा देना नेपाल को पड़ा भारी, चीन ने नेपाल की हड़पी जमीन..

nepal 1 भारत को धोखा देना नेपाल को पड़ा भारी, चीन ने नेपाल की हड़पी जमीन..

चीन के कहने पर भारत पर लगातार दबाब बना रहे नेपाल को चीन ने बड़ा झटका दे दिया है। जिसकी वजह से नेपाल को समझ नहीं आ रहा वो अब करे भी तो तो क्या क्योंकि चीन ने अब उसी की जमीन को हड़पना शुरू कर दिया है।नेपाल सरकार के कृषि मंत्रालय ने कागजातों में भी इस सच्चाई को स्वीकार किया गया है, लेकिन प्रधानमंत्री केपी ओली इस पर आंखें मूदे हुए हैं और भारत के खिलाफ भावनाएं भड़काने में जुटे हैं।नेपाल के कृषि मंत्रालय ने एक डॉक्युमेंट में कहा है कि तिब्बत में चल रहे बड़े रोड डिवेलपमेंट प्रॉजेक्ट से नदियों का रास्ता बदल दिया गया है और चीन ने नेपाल की भूमि कब्जा करके अपनी सीमा को बढ़ा लिया है।

nepal 2 2 भारत को धोखा देना नेपाल को पड़ा भारी, चीन ने नेपाल की हड़पी जमीन..
खबरों की मानें तो चीन ने नेपाल के कई जिलों की भूमि पर अतिक्र्मण कर लिया है और नदियों का रुख बदलता रहा तो और अधिक जमीन जीन कब्जा लेगा। नदियों की धारा बदलने से नेपाल सैकड़ों हेक्टेयर जमीन खो देगा। कृषि मंत्रालय ने सरकार को चेताते हुए कहा है, ”इस बात की बहुत संभावना है कि चीन आने वाले समय में यहां सशस्त्र बलों के लिए पोस्ट बना ले।” अगर नेपाल के इन हिस्सों के घरने में चीन कामयाब हो जाता है तो नेपाल को इसकी भआरी कीमत चुकानी पड़ेगी।

इस बीच सवाल उठने लगे हैं कि, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भले ही चीन के इशारे पर भारत के इलाकों के नक्शे बदलने में लगे हों, लेकिन, चीन ने अब नेपाल के इलाके पर ही कब्जा शुरू कर दिया है। जिस गांव पर चीन ने कब्जा किया है वो उत्तरी गोरखा क्षेत्र का रुई गांव है। नेपाल मामलों के जानकारों का कहना है कि नेपाल सरकार और वहां के बुद्धिजीवी इस वक्त भारत के नाम पर अपनी जनता को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा पर नेपाली कब्जे के सपने दिखा रहे हैं, जबकि नेपाल की सरकार ने रुई गांव पर चीन के अतिक्रमण की बात जनता से छिपा रखी है। गोरखा इलाके का रुई गांव आज की तारीख में तिब्बत के अधीन हो चुका है, जो चीन के अवैध कब्जे में है।

हालांकि, यह गांव अभी भी नेपाल के नक्शे में शामिल है, लेकिन उसपर ड्रैगन की दादागीरी चल रही है। चीन ने गांव के निशान वाले सारे पिलर उखाड़ फेंके हैं, जिससे कि वह अपने गैर-कानूनी कब्जे की बात को दबा सके। जबकि, तथ्य ये है कि गोरखा जिले के राजस्व दफ्तर में वह गांव आज भी नेपाल का है और रुई के लोगों ने सरकार को जो लगान दिए हैं, उसका भी पूरा रेकॉर्ड मौजूद है।

https://www.bharatkhabar.com/us-president-donald-trump-suspended-h1-b-visa/
लगभग 60 वर्षों तक नेपाल शासन के अधीन रहने वाले रुई गांव पर चीन के कब्जे वाली खबर से अब नेपाल में भी हलचल मच गई है। जानकारी के मुताबिक चीन ने वहां के पिलरों में 2017 में ही हेरफेर कर लिया था। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत के साथ चीन के इशारे पर उछलने वाली केपी शर्मा ओली की सरकार चीन की दमनकारी नीति पर इतने वर्षों से क्यों खामोश बने हुए हैं। अगर वो ऐसे ही चुप रहे तो नेपाल को इसकी भारी किमत चुकानी पड़ेगी। ऐसी स्थिति में भारत भी नेपाल की मदद नहीं करेगा।

Related posts

आयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में बाधा है मोहसिन रजा का बयान: वसीम रिजवी

Rani Naqvi

पेट्रोल-डीजल के दामों में आज कोई बढ़ोत्तरी नहीं, जानें क्या हैं कीमतें..

pratiyush chaubey

भारत को घेरने के लिए चीन की चाल, पाक को सौंपी अत्याधुनिक मिसाइल

lucknow bureua