आज पूरे देश में बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती का प्रतीक है। बच्चों द्वारा प्यार से चाचा नेहरू कहे जाने वाले देश के प्रधानमंत्री ने बच्चों की सर्वांगीण शिक्षा की वकालत की जिससे भविष्य में एक बेहतर समाज का निर्माण हो सके। जवाहरलाल नेहरू बच्चों को राष्ट्र की असली ताकत और समाज की नींव मानते थे।
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1959 में मनाया गया था पहली बार बाल दिवस
देश में पहली बार साल 1959 में मनाया गया था। यह दिन बच्चों के लिए बेहस खास होता है। आसान शब्दों में कहें तो यह दिन बच्चों के लिए समर्पित होता है। विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों को बाल दिवस मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से अगाध स्नेह था। उनका कहना था कि बच्चे भगवान के रूप होते हैं।
चाचा नेहरू प्यार से बच्चों को गुलाब का फूल भी कहते थे। बच्चे भी उन्हें बेहद प्यार करते हैं। इसके लिए बच्चे भी उन्हें चाचा कहते हैं। चाचा नेहरू हमेशा कहते थे कि देश के स्वर्णिम विकास में बच्चे की अहम भागीदारी के लिए बच्चों को शिक्षित होना जरूरी है। आइए, बाल दिवस का इतिहास और महत्व जानते हैं-
बाल दिवस का इतिहास
पंडित नेहरू की मृत्यु से पहले, भारत में 20 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व बाल दिवस के रूप में इसी दिन को चिन्हित किया गया था। नेहरू की मृत्यु के बाद, उनकी जयंती को भारत में बाल दिवस की तारीख के रूप में चुना गया था। 1964 में नेहरू की जयंती को बाल दिवस के रूप में चिह्नित करने के लिए भारतीय संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था।
बाल दिवस का महत्व
बाल दिवस का विशेष महत्व है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं। इसके लिए देश के स्वर्णिम विकास के लिए बच्चों का विकास जरूरी है। इस दिन स्कूल और कालेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इन कार्यक्रमों में बच्चों को जागरुक किया जाता है। साथ ही चाचा नेहरू को याद किया जाता है।