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30 घंटे की मशक्क्त के बाद एनडीआरएफ की टीम ने बच्ची को बाहर निकाला

shana 30 घंटे की मशक्क्त के बाद एनडीआरएफ की टीम ने बच्ची को बाहर निकाला

नई दिल्ली। दुआओं ने दिखाया रंग और मुंगेर शहर के मुर्गियाचक चौक मौहल्ले में 110 फीट गहरे बोरवेल में 30 घंटे से फंसी मासूम सना ने जिंदगी की जंग जीत ली है। दरअसल मंगलवार की शाम गिरी तीन साल की सना को 30 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बुधवार रात को बचा लिया गया। वह बेरवेल में 42 फीट पर फंसी हुई थी। संकरा जगह होने के कारण खुदाई का कार्य बहुत सावधानी पूर्वक किया गया। 43 फीट गहरी खुदाई बुधवार को सात बजे तक हो चुकी थी।

 

shana 30 घंटे की मशक्क्त के बाद एनडीआरएफ की टीम ने बच्ची को बाहर निकाला

एल आकार को लेकर 11 फीट की खुदाई की गई

बता दें कि इसके बाद एल आकार को लेकर 11 फीट की खुदाई की गई। ये खुदाई इतनी कठिन थी कि इसमें लगभग तीन घंटे का समय लग गया। मंगलवार की रात से ही भागलपुर एवं खगड़िया की एसडीआरएफ की टीम इस काम में लगी हुई थी। एनडीआरएफ की टीम ने भी काम में सहयोग किया। राहत दल की ओर से सना को लगातार ऑक्सीजन का फ्लो दिया गया।

वहीं एनडीआएएफ की टीम हाई फ्रीक्वेंसी की माइक के माध्यम से सना की उसकी मां और उसके पिता से बात करवाते रहे। सदर अस्पताल के डॉक्टर फैज ने कहा था कि बच्ची का स्वास्थ्य ठीक है। पूरी उम्मीद है कि बच्ची सुरक्षित बाहर निकलेगी और वह सुरक्षित बाहर निकल गई। उधर, मुंगेर के कमिश्नर पंकज कुमार पाल एवं डीआईजी जितेन्द्र कुमार मिश्र घटनास्थल पर लगातार कैंप करते रहे।

बच्ची को बचाने का मुश्किल भरा था अभियान

बोरवेल में 42 फीट पर अटकी मासूम सना को सकुशल बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर शुरू किया गया रेस्क्यू मुश्किल भरा था। घर के अंदर बोरवेल से 11 फीट दूर सड़क पर बोरवेल के सामांतर गड्ढा करने के लिए जेसीबी और पोपलेन मशीन लगाई गई थी। घनी आबादी वाले इस इलाके में सड़क के दोनों ओर बने मकान को भी नुकसान न पहुंचे इस बात पर भी ध्यान रखा जा रहा था।

कमिश्नर पंकज पाल, डीआईजी जीतेन्द्र कुमार मिश्र, एसपी गौरव मंगला, डीडीसी रामेश्वर पांडेय सहित पुलिस प्रशासन के सभी वरीय अधिकारी कैंप कर रहे थे। अधिकारी हो या आम जनता सब यही दुआ कर रहे थे। रेस्क्यू सफल हो और बच्ची सकुशल बाहर निकल आए। रात आठ बजे अभियान में तब थोड़ी रुकावट आई जब बच्ची का पैर केंसिग मे फंस गया।

पैर निकालने को लेकर एसडीआरएफ की टीम को दूसरी रणनीति अपनानी पड़ी। इस रणनीति के तहत केसिंग को काटकर बच्ची को बाहर निकाला गया। रात नौ बजकर 41 मिनट पर सफलता मिली। सना को निकालने में लगभग 150 पुलिसकर्मियों और 50 मजदूरों का सहयोग लिया गया।

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