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स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए टीम 11 के साथ मुख्यमंत्री ने की बैठक

दो मई को विजय जुलूस पर प्रतिबंध, सीएम योगी ने की ये अपील  

लखनऊ: कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ने के बाद उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई है। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा कोरोना से बचाव को लेकर के बेहतर की जा रही स्वास्थ्य सेवाओं पर विस्तृत समीक्षा टीम 11 के साथ की और जरूरी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने टीम 11 बैठक में अधिकारियों को दिए विशेष निर्देश

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा टीम 11 के साथ कोरोना के संक्रमण से बचाव को लेकर की जारी स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा हेतु टीम 11 के साथ बैठक की गई। इस दौरान प्रदेश में किस स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं लोगों को पहुंचाई जा रही हैं, आने वाले दिनों के लिए क्या योजना है? इसको लेकर के बैठक में चर्चा हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने टीम 11 को निम्नलिखित निर्देश दिए हैं,उन्होंने कहा कि

– सभी जिलाधिकारी अपने जनपदों में सेक्टर प्रणाली लागू करें। क्षेत्रवार सेक्टर मैजिस्ट्रेट नियुक्त किए जाएं। यह सुनिश्चित कराया जाए कि हर जरूरतममंद मरीज को बेड मिले। जरूरत ऑक्सीजन की हो, वेंटिलेटर की हो अथवा जीवनरक्षक दवाओं की, उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित करें। बेड आवंटन और डिस्चार्ज पॉलिसी को प्रभावी ढंग से लागू कराएं। किसी जिले में शासनादेशों का उल्लंघन होता हुआ पाया गया तो संबंधित जिलाधिकारी और सीएमओ की जवाबदेही तय की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय और मुख्य सचिव कार्यालय से इस पर सतत नजर रखी जाए।

– प्रदेश में ऑक्सिजन की आपूर्ति हर दिन बेहतर होती जा रही है।टैंकरों की संख्या भी बढ़ी है। 64 टैंकर इसी कार्य में लगाये गए हैं। इसके अलावा, 20 टैंकर विभिन्न जिलों में सीधे अस्पतालों को आपूर्ति कर रहे हैं। भारत सरकार से भी आठ नए टैंकर मिल रहे हैं। इसके अलावा जमशेदपुर से ऑक्सीजन की आपूर्ति कराई जा रही है। सभी ऑक्सीजन टैंकर जीपीएस से लैस रहें। उनकी लाइव मॉनिटरिंग की जाए। ऑक्सीजन ऑडिट का काम तेजी से किया जाए।

– प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में 32 ऑक्सीजन प्लांट पहले से ही स्थापित हैं। अब 39 और अस्पतालों में ऑक्सिजन प्लांट लगाने के लिए ऑर्डर प्लेस कर दिए गए हैं। पीएम केयर्स अंतर्गत भारत सरकार द्वारा स्थापित कराए जाने वाले ऑक्सीजन प्लांट के सम्बंध में प्रस्ताव आज भेजे जा रहे हैं।

– लगातार प्रयासों से अब लखनऊ, कानपुर, बरेली, वाराणसी, गोरखपुर परिक्षेत्रों में ऑक्सीजन के मांग-आपूर्ति और वितरण की स्थिति में संतुलन है। इसे और बेहतर किया जाए। आगरा, मथुरा और अलीगढ़ क्षेत्रों में प्रभावी इंतजाम किए जाने की जरूरत है। इस दिशा में तत्काल कार्यवाही कराई जाए।

– प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र की ओर से 54 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों का परीक्षण करते हुए इन्हें सभी जरूरी सहयोग प्रदान किया जाए। व्यापक जनहित में निजी क्षेत्र का यह प्रस्ताव स्वागतयोग्य है।

– होम आइसोलेशन में उपचाराधीन लोगों के लिए विशेष टेलीकन्सल्टेशन की व्यवस्था शुरू की जाए। हर जिले में इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर पर इस संबंध में एक अलग पैनल गठित किया जाना चाहिए। होम आइसोलेशन के मरीजों को घर दिन स्वास्थ्य संबंधी जानकारी दी जाए। टेलीकन्सल्टेशन के लिए हर जिले में दो-तीन फोन नम्बर जरूर हों। मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से इस संबंध में कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए।

– उत्तर प्रदेश में टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। उत्तर प्रदेश सर्वाधिक टीकाकरण करने वाला राज्य है। प्रदेश में अब तक 1,19,45,728 वैक्सीन डोज एडमिनिस्टर हुई है। दोनों स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों से सतत संपर्क बनाए रखा जाए। 50-50 लाख डोज के ऑर्डर दे दिए गए हैं। आवश्यकतानुसार और आर्डर दिए जाएं।

– एक मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का टीकाकरण कराया जाना है। यह टीकाकरण राज्य सरकार द्वारा कराया जाएगा। किसी भी दशा में वेस्टेज न हो, इसके लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाए। 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के टीकाकरण में भारत सरकार से सहयोग प्राप्त हो रहा है।

– उत्तर प्रदेश में विगत 24 घंटों में आज 32,993 नए केस मिले हैं, जबकि इसी अवधि में 30,398 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं। स्पष्ट है,संक्रमण दर में गिरावट है और रिकवरी रेट बेहतर हो रहा है। यह सुखद है। यह सुखद स्थिति ‘दवाई भी-कड़ाई भी’ के सूत्र को प्रभावी ढंग से अमल में लाने का परिणाम है। हमें टेस्टिंग और ट्रेसिंग को दोगुनी क्षमता में बढ़ाने की जरूरत है। इस दिशा में कार्यवाही  की जाए।

– रेमेडेसीवीर जैसी किसी भी जीवनरक्षक दवा का प्रदेश में अभाव नहीं है। हर दिन इसकी आपूर्ति बढ़ रही है। जिलों की मांग को देखते हुए रेमेडेसीवीर के पर्याप्त वॉयल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में यह इंजेक्शन निःशुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है, जरूरत हो तो निजी अस्पतालों को भी रेमेडेसीवीर मुहैया कराई जाए। इसके लिए जिला प्रशासन को अतिरिक्त रेमेडेसीवीर उपलब्ध कराई गई है।

– टेस्ट हो या ट्रीटमेंट, राज्य सरकार ने सभी के लिए शुल्क की दरें तय की हैं। इससे अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता। अगर कहीं नियत शुल्क से अधिक की वसूली की घटना हो तो तत्काल दोषियों के खिलाफ महामारी एक्ट के अंतर्गत कार्रवाई की जाए। सभी जिलों में इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।

– कोविड से लड़ाई में टेस्ट बहुत अहम है। जितना अधिक टेस्ट उतना ही प्रभावी नियंत्रण। उत्तर प्रदेश में अब तक 04 करोड़ से अधिक टेस्ट हो चुके हैं, यह देश में किसी एक राज्य द्वारा किया गया सर्वाधिक टेस्ट हैं। सभी प्रयोगशालाओं की टेस्टिंग क्षमता दोगुनी करने की कार्यवाही तेज की जाए। क्वालिटी टेस्टिंग सुनिश्चित कराएं।

– कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग को और बेहतर किये जाने की जरूरत है। आरआरटी की संख्या बढ़ाएं। इसमें आंगनबाड़ी/आशा कार्यकत्रियों को भी जोड़ा जाए। बिना ट्रेसिंग के हम कोविड पर प्रभावी नियंत्रण नहीं कर सकते।

– इंटोग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को सभी जिलों में प्रभावी बनाया जाए। आइसीसीसी के संपर्क नम्बर बेहतर ढंग से प्रचारित/प्रसारित किये जाएं। हर कंट्रोल रूम 24×7 अलर्ट मोड में रहे। लोगों की समस्याओं का यथोचित निराकरण कराएं। मुख्य सचिव कार्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय स्तर से इसकी मॉनिटरिंग की जाए।

– हर कोविड अस्पताल प्रत्येक दिन में दो बार अपने रिक्त बेड्स का विवरण सार्वजनिक करे। कोई भी सरकारी अथवा निजी अस्पताल बेड उपलब्ध होने पर कोविड पॉजिटिव मरीज को भर्ती के लिए मना नहीं कर सकता है। यदि सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध नहीं है, तो संबंधित अस्पताल उसे निजी चिकित्सालय में रेफर करेगा। निजी हॉस्पिटल में मरीज भुगतान के आधार पर उपचार कराने में यदि सक्षम नहीं होगा, तो ऐसी दशा में राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना के तहत अनुमन्य दर पर वहां उसके इलाज का भुगतान करेगी।

– होम आइसोलेशन में इलाजरत मरीजों से सीएम हेल्पलाइन 1076 के माध्यम से हर दिन संवाद बनाया जाए। उन्हें न्यूनतम एक सप्ताह की अवधि के लिए मेडिकल किट उपलब्ध कराया जाए। स्वास्थ्य मंत्री के स्तर से मेडिकल किट वितरण व्यवस्था की जिलेवार समीक्षा की जाए। सीएमओ की जवाबदेही तय की जाए। दवाओं का कोई अभाव नहीं है। अस्पतालों में इलाजरत मरीजों से हर दिन संवाद बनाया जाए।

– सभी जिलों के प्रत्येक छोटे-बड़े अस्पताल की स्थिति पर नजर रखी जाए। जिसे भी जरूरत होगी, ऑक्सीजन जरूर मुहैया कराई जाए। ऑक्सीजन के सुचारु आपूर्ति-वितरण के लिए प्रदेश के सात संस्थाओं द्वारा ऑक्सीजन की ऑडिट भी कराई जा रही है।

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