उत्तराखंड राज्य

मुख्यमंत्री रावत ने साझा की छात्र-छात्राओं और अध्यापकों के साथ राज्य की योजनाएं और नई नीतियां

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देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने छात्र-छात्राओं और अध्यापकों के साथ राज्य की योजनाएं और नई नीतियां को साझा करते हुए कहा कि सरकार जीरो टॉलरेंस ऑन करप्शन के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार को स्वीकार नही किया जायेगा। उन्होंने कहा कि 11 माह की राज्य सरकार बिल्कुल बेदाग है। राज्य सरकार प्रदेश की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर योजनायें बना रही है। सभी न्याय पंचायतों को आर्थिक गतिविधियों के केन्द्र के रूप में विकसित करने का संकल्प लिया है। दूरस्थ क्षेत्रों में संचार तकनीकी पहुँचाने के लिए आईआईटी मुम्बई के साथ बैलून टैक्नालॉजी का प्रयोग करने के लिए एमओयू किया गया है। पिरूल से बायोफ्यूल तथा तारपीन का तेल निकालने का समझौता आईआईपी के साथ हुआ है, जिससे ग्रामीणों को लाभ होगा।

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बता दें कि प्रदेश के सभी महाविद्यालयों में शत प्रतिशत प्रधानाचार्यों एवं 93 प्रतिशत अध्यापकों की नियुक्ति की गई है। पिछले 10 महीने में लगभग 1000 डाॅक्टर पहाड़ों में भेजे गये है। 170 बांडधारी डाॅक्टरों को पहाड़ों में भेजा गया है। सितम्बर-अक्टूबर में उत्तराखण्ड में इन्वेस्टर समिट किया जायेगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप बजट तैयार करने के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों से राय ली जा रही है। बजट राज्य के विकास का रोडमैप होता है, इसलिए इसमें समाज के सभी वर्गों की भागीदारी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ग की समस्याओं एवं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सभी पहलुओं का बजट में समावेश किया जायेगा। उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी, 2018 को मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने जनपद उत्तरकाशी के गंगाणी में किसानों से संवाद किया एवं आगामी बजट हेतु उनके सुझाव प्राप्त किये।

वहीं आपकी राय-आपका बजट के सुझावों में सुमन खत्री द्वारा पर्वतीय जिलों में इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट, पर्यटन, यातायात कनेक्टिविटी से जोड़ने का सुझाव दिया गया। मैनेजमेंट के छात्र गौतम कुमार ने ऑर्गेनिक प्रोडक्ट को बढ़ावा दिये जाने, दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने एवं स्थानीय लोगों को स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए योजना बनाये जाने का सुझाव दिया। उज्जवल शर्मा ने उत्तराखण्ड में इन्वेस्टमेंट समिट कराने का सुझाव दिया। अशुंल भट्ट ने किशोरावस्था के बच्चों के लिए स्वास्थ्य एवं शिक्षा के लिए विशेष योजना बनाने का सुझाव दिया। डॉ.विवेक जोशी ने कहा कि पर्वतीय जिलों से पलायन को रोकने के लिए डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा दिये जाने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों को विकसित करने की जरूरत है। मेडिशनल एवं एरोमेटिक प्लांट की नर्सरी बनाकर इसे ग्रोथ सेंटरों के विकास में शामिल किया जा सकता है।

वहीं 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में पानी की समस्याओं के समाधान के लिए हाईड्रोलिक रैम्प पम्प का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। डॉ.मनु शर्मा ने सुझाव दिया कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों की स्वच्छता पर जागरूकता अभियान चलाने पर बल दिया जाए। शोध छात्रा शालू राठी ने सुझाव दिया कि फसल बीमा योजना से अधिक से अधिक किसान जुड़ सके, इसमें इंश्योरेंस पॉलिसी को और अधिक मजबूत बनाना जरूरी है। इसके अलावा कम्यूनिकेशन बढ़ाने के लिए सूचनाओं के त्वरित आदान-प्रदान की व्यवस्था, उद्यमिता को बढ़ावा देने, सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान को और सशक्त बनाने, ऑर्गेनिक उत्पादों को बढ़ावा दिये जाने, युवाओं को स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग देने, किसानों को डिजिटल इंडिया से जोड़ने के सुझाव प्राप्त हुए।

साथ ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि केन्द्रीय बजट में समाज के प्रत्येक वर्ग को दृष्टिगत रखते हुए बजट पेश किया गया। युवाओं के लिये रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना इस बजट की बडी विशेषता रही है। प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्रों की संख्या बढ़ाई गई है। देश के 600 जनपदों में इन केन्द्रों को विस्तारित किया जा रहा है। अभी तक प्रधानमंत्री कौशल विकास केन्द्र सिर्फ 60 जनपदों में थे। उन्होंने कहा कि जब देश में कौशल विकास केन्द्र खोलने की शुरूआत की गई तो देश में उत्तराखण्ड को स्टेट कम्पोनेन्ट से सबसे पहले 02 कौशल विकास केन्द्र खोलने का श्रेय प्राप्त हुआ। स्किल एक्जीवीशन एवं नॉलेज प्रोगाम के तहत अनेक प्रोग्राम प्रधानमंत्री ने रखे हैं, प्रधानमंत्री के संकल्प के तहत इसके लिये चार हजार करोड़ रूपये की व्यवस्था की गई है। 03 करोड 50 लाख युवाओं को इसके तहत रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। 100 से अधिक अन्तर्राष्ट्रीय स्किल डेवलपमेंट सेंटर विकसित किये जा रहे हैं। संवाद कार्यक्रम के अवसर पर दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.चन्द्रशेखर नौटियाल, दून विश्वविद्यालय के अध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

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