लखनऊ। केन्द्र सरकार इस बार अपने बजट प्रणाली में बदलाव कर मार्च के बजाय फरवरी में बजट पेश कर रही है। इस बजट को लेकर विपक्षी दलों में खासा सुगबुगाहट हो रही है। इसे रोकने को लेकर याचिका भी डाली गई थी। लेकिन अब कोर्ट ने भी इसे हरी झंड़ी दे दी है। पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं। भाजपा की सरकार अपने बजट से जनता और वोटरों को रिझाकर विपक्षी दलों के खेल पर पानी फेर सकती है। इसी बावत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पीएम मोदी को बजट रोकने के लिए पत्र लिखा है।
अखिलेश ने क्या की है गुहार
समाजवादी पार्टी के मुखिया और प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव ने पीएम मोदी से गुहार लगाई है। उन्होने पत्र लिखकर कहा है कि इस बजट को चुनाव के बाद पेश किया जाये। सीएम अखिलेश का कहना है कि प्रदेश की जनता के विकास के लिए चुनाव के बाद ही बजट का पेश होना ज्यादा अच्छा होगा। क्योंकि चुनाव आयोग ने साफतौर पर केन्द्र सरकार को 5 राज्यों के चुनाव को देखते हुए साफ-तौर पर कह रखा है कि इन राज्यों के लिए कोई विशेष पैकेज नहीं होना चाहिए इस बजट में ऐसे में प्रदेश की जनता के लिए चुनाव के पहले बजट पेश किया जाना एक तरह से न्याय ही होगा। सीएम अखिलेश का ये भी कहना है कि जनसंख्या क लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में चुनाव आयोग की अधिसूचना के बाद पेश हुआ ये बजट सूबे की 20 करोड़ जनता से दूर होगा। तमाम लाभ की योजनाएं सूबे की जनता को नहीं मिल सकेंगी। इसलिए बजट को चुनाव के बाद पेश करना ही बेहतर होगा।
क्या कर सकता है बजट
यूं तो बजट मार्च के अंतिम हफ्ते में आता था। लेकिन इस बार फरवरी में आ रहे बजट को लेकर चुनावी साल में सत्ता के संग्राम में जुटी पार्टियों के लिए ये बजट उनका चुनावी गणित खराब कर सकता है। हांलाकि चुनाव आयोग ने 5 राज्यों के लिए बजट में किसी बड़ी या विशेष परियोजना या योजना को लागू ना करने की बात कही है। ऐसे में अगर सरकार बजट लाती है। तो वह प्रत्यक्ष तौर पर नही लेकिन अप्रत्यक्ष तौर पर जनता के लिए कोई सौगात दे सकती है। जिसके बाद इन राज्यों के चुनावी गणित पर सीधा असर पड़ना स्वाभाविक है।
आखिर क्यूं है बजट से अखिलेश को डर
सर्वे की माने तो अखिलेश बेहतर सीएम उम्मीदवार हैं। भाजपा अपने टिकट बंटवारे के बाद से पार्टी के भीतर भीतर-घात की मार झेल रही है। बसपा के पास कोई बड़ा एजेन्डा नहीं रहा है। कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी ने पहले से गठजोड़ कर अपना समीकरण मजबूत कर लिया है। लेकिन बजट का पिटारा सभी समीकरणों को बिगाड़ने में अहम किरदार निभा सकता है। विपक्षी दलों को डर है कि कहीं सरकार कोई अप्रत्यक्ष तौर पर लाभकारी योजना लाकर उसके वोटरों को बिखेर कर उसका समीकरण ना खराब कर दे।
इसी बावत अखिलेश ने पत्र लिखकर पीएम मोदी से गुहार की है कि जैसे साल 2012 में केन्द्र सरकार ने अपना रेल बजट और आम बजट चुनाव के बाद पेश किया था। साल 2012 में आम चुनाव के बाद नतीजे सपा सरकार के पक्ष में थे सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार सत्ता में आई थी। इसलिए इस बार बजट चुनाव के पहले आने से सूबे का चुनावी समीकरण बिगड़ने का डर अब हर विपक्षी दल को सता रहा है।
अजस्र पीयूष