देहरादून। उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति पर पुनर्विचार के लिए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कॉलेजियम की बैठक बुलाई है। सरकार ने बीते शुक्रवार को संबंधित फाइल कॉलेजियम को लौटा दी थी। जिसने दस जनवरी को न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम की सिफारिश की थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि यह कोई क्षेत्रीय मसला नहीं है, कई मसले हैं जिस पर बात की जा सकती है। सिफारिश को खारिज करने वाले सरकार के पत्र का कॉलेजियम जवाब देगा। जस्टिस जोसेफ का कहना है कि बुधवार को होने वाली कॉलेजियम की बैठक में जस्टिस केएम जोसेफ के मुद्दे पर ‘तथ्य’ सामने रखे जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि ‘सरकार ने जिसे तथ्य माना है, वह तथ्य नहीं हैं और वास्तविक तथ्य उनके सामने रखे जाएंगे।’ बैठक के नतीजे को लेकर काफी सकारात्मक हैं।
साथ ही पहले की सिफारिश के पीछे के तथ्य और आंकड़े सरकार को समझाए जाएंगे। जब फैक्ट्स और फिगर्स सामने रखे जाएंगे, सरकार को अहसास होगा कि वास्तविक फैक्ट्स क्या हैं और इससे उनका नजरिया बदल सकता है। सरकार ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ को पदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाने संबंधी शीर्ष अदालत की कोलेजियम की सिफारिश पुर्नविचार के लिए वापस लौटा दी। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने गुरुवार सुबह चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा को पत्र लिखकर जस्टिस जोसेफ के नाम पर कॉलेजियम में फिर से विचार करने का अनुरोध किया।
वहीं जस्टिस जोसेफ का नाम उस समय सुर्खियों में आया जब उनकी अध्यक्षता वाली उत्तराखंड हाईकोर्ट की पीठ ने अप्रैल 2016 के फैसले में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की अधिसूचना रद्द करने के साथ ही हरीश रावत सरकार को बहाल कर दिया था। जस्टिस जोसेफ के नाम को मंजूरी नहीं देने के सरकार के निर्णय की तीखी प्रतिक्रया हुयी है। उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने इस घटनाक्रम को परेशान करने वाला बताया है। कांग्रेस ने भी इस मामले में सरकार को घेरा है।