स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद समझी जाने वाली हरी सब्जियों से भी अब सेहत को नुकसान होने का अंदेशा पैदा हो गया है। हालांकि, यह सब्जियां फायदेमंद जरूर हैं, लेकिन थोड़े से लालच के चक्कर में लोग इन सब्जियों को नुकसानदेह बनाने पर तुले हैं। ग्रीन वेजीटेबल युक्त भोजन की सलाह घर पर मम्मी, पापा, हास्पिटल में डाक्टर, स्कूल में शिक्षक और टेलिविजन पर योग गुरु पुरजोर तरीके से देते हैं। इस समय इन हरी सब्जियों में केमिकल का प्रभाव होने से स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रही है। कई सब्जी उत्पादक लौकी, कद्दू, बैंगन ओर तरबूज को इंजेक्शन देकर बड़ा कर देते हैं। लौकी, भिंडी, मिर्च, पुदीना, धनिया को कलर कर उसे चमकीला व ताजा स्वरूप प्रदान कर रहे हैं। कुछ सब्जी विक्रेता रात में सब्जियों को मेलाथियान के घोल में डुबोकर अगली सुबह तक तरोताजा रख रहे हैं। साथ ही मेलाथियान के घोल में घुलने के कारण एक दिन के लिए सब्जियों की ताजगी बढ़ जाती है।
चिकित्सकों का कहना है कि केमिकल से तर इन सब्जियों को खाने से शरीर को भारी नुकसान हो सकता है। ऑक्सिटोसिन की वजह से हार्मोन अनबैलेंस्ड हो जाते हैं। इसकी वजह से लड़के व लड़कियों में अलग-अलग प्रभाव देखने को मिलता है। यह शरीर में पहुंचते ही अंदर अपना प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर देते हैं। विशेषकर पेट में अल्सर होने की आशंका बनी रहती है। चिकित्सकों ने बताया कि उपभोक्ता सब्जी खरीदते समय सब्जी को सूंघ कर देखें यदि केमिकल की महक आए तो इसे नहीं खरीदें। सब्जी खरीदने से पहले हाथों को रगड़ कर देखें यदि रंग का प्रयोग किया गया होगा तो हाथों में लग जाएगा। सब्जी पकाने में यदि समय अधिक लगता है तो जान लीजिए कि सब्जी केमिकलयुक्त है।
सजा का है प्रावधान:
कंज्यूमर प्रोडक्ट एक्ट 1986 के तहत उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है। इस अधिनियम की धारा 27 के अंतर्गत एक माह से तीन साल तक की सजा व दो हजार से लेकर दस हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों लगाए जा सकते हैं। केन्द्र सरकार ने सन 2005 में फूड सेफ्टी बिल को पारित किया, जिसके बारे में अधिकतर लोग अनभिज्ञ हैं। इसमें दोषियों के खिलाफ फूल एडल्ट्रेशन एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकती है।