मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश वैज्ञानिक लंबे समय से कर रहे हैं कि, अभी तक इस दिशा में वैज्ञानिकों को किसी तरह की कोई खास सफलता नहीं मिली है। इस बीच एक बड़ी खबर सामने आयी है। जिसने वैज्ञानिकों की मुश्कल बढ़ा दी है।
नासा के मंगल ग्रह के नए अभियान को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभियान की सबसे बड़ी और रोमांचक चुनौती लाल ग्रह पर प्राचीन काल के सूक्ष्म जीवों के अवशेषों के संबंध में प्रमाण जुटाना होगा। मंगल ग्रह की चट्टान को पहली बार धरती पर लाकर किसी प्राचीन जीवन के प्रमाण की जांच के लिए उसका विश्लेषण करने के वास्ते नासा ने अब तक का सबसे बड़ा और जटिल रोवर बृहस्पतिवार को प्रक्षेपित किया।
नासा का ”परसेवरेंस” रोवर मंगल के जेजेरो क्रेटर पर जाकर जीवन के प्रमाण तलाश करेगा। लंबे समय तक चलने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत कार के आकार का रोवर बनाया गया है जो कैमरा, माइक्रोफोन, ड्रिल और लेजर से युक्त है। उम्मीद है कि रोवर सात महीने और 48 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अगले साल 18 फरवरी तक मंगल ग्रह पर पहुंच जाएगा। और 2031 में धरती पर लाया जाएगा।
गुजरात के अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला में ग्रह वैज्ञानिक द्विजेश राय ने कहा कि उनके मुताबिक, परसेवरेंस रोवर अभियान का सबसे रोमांचक हिस्सा वह वैज्ञानिक विश्लेषण है जोकि ग्रह पर प्राचीन सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति के परीक्षण के लिए किया जाएगा। क्योंकि इससे की रोमांचित करने वाली जानकारी सामने आ सकती हैं।
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नासा प्रशासक जिम ब्रिडेन्स्टाइन ने कहा, ‘‘ हमें नहीं पता की वहां जीवन है या नहीं। लेकिन हम यह जानते हैं कि इतिहास में एक समय था जब मंगल रहने योग्य था।’’ केवल अमेरिका मंगल तक अपना अंतरिक्षयान सफलतापूर्व पहुंचा पाया है। वह 1976 में वाइकिंग्स से शुरुआत करके आठ बार ऐसा कर चुका है। नासा के इनसाइट और क्यूरियोसिटी इस समय मंगल पर हैं। छह अन्य अंतरिक्ष यान केंद्र से ग्रह का अध्ययन कर रहे हैं। जिस तरह से मंगल ग्रह में जीवन की खोज में कई सारे देश लग गये हैं। उससे उम्मीद की जा रही है कि, कई सारी जानकारियां सामने आ सकती हैं।