Chaitra Navratri 2023 Day 2: आज चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन है. चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि को मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में….
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पैराणिक मान्यता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति स्वरूप में पाने के लिए हजारों वर्षों तक कठोर तप किया। उस दौरान जो उनका स्वरूप था। इसलिए मां के इस स्वरूप को तपश्चारिणी भी कहा जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग और भोग
मां ब्रह्मचारिणी को पीला और सफेद रंग पसंद है। इस दिन आप अपने घर के मंदिर को गेंदे के फूल से सजा सकते हैं। पीले या सफेद रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करने से मां ब्रह्मचारिणी शीघ्र प्रसन्न होती हैं। हिंदू धर्म पर पीले रंग को शिक्षा और ज्ञान का रंग माना गया है। आप आज के दिन चीनी और मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं। इन्हीं चीजों का दान करने से भी मां की कृपा प्राप्त होती है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मुहूर्त
चैत्र शुक्ल द्वितीया तिथि का प्रारंभ 22 मार्च को रात 08 बजकर 20 मिनट से हुआ है और यह तिथि आज 23 मार्च को शाम 06 बजकर 20 मिनट तक है।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व
मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। व्यक्ति दृढनिश्चय के साथ अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहना है। व्यक्ति की संकल्प शक्ति मजबूत होती है। त्याग, ब्रह्मचर्य, वैराग्य, तप जैसे गुणों की प्राप्ति होती है।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
पूजा मंत्र: ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
बीज मंत्र: ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- आज प्रात: स्नान के बाद मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति स्थापित करें। फिर उनकी पूजा करें।
- मां ब्रह्मचारिणी को अक्षत्, फूल, कुमकुम, गंध, धूप, दीप, नैवेद्य, फल आदि चढ़ाते हैं।
- संभव हो तो आप उनको चमेली के फूलों की माला अर्पित करें। उनको शक्कर चढ़ाएं।
- इस दौरान मां ब्रह्मचारिणी के मंत्रों का जाप करते रहें।
- इसके बाद आप दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं।
- पूजा का समापन मां ब्रह्मचारिणी की आरती से करनी चाहिए।