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दसॉल्ट के CEO ने राफेल विमान डील पर राहुल के आरोपों को बताया निराधार

दसॉल्ट के CEO ने राफेल विमान डील पर राहुल के आरोपों को बताया निराधार

राफेल विमान डील पर देश में चल रहे राजनीतिक वार में फ्रांस की दसॉल्ट कंपनी के सीईओ ने एक इंटरव्यू में मामले पर प्रतिक्रिया दी है। जिसके बाद से मामला और तूल पकड़ गया है। दसॉल्ट एविएशन (राफेल विमान निर्माता कंपनी) के सीईओ एरिक ट्रैपियर ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए गए इंटरव्यू में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का जवाब दिया है।

 

दसॉल्ट के CEO ने राफेल विमान डील पर राहुल के आरोपों को बताया निराधार
दसॉल्ट के CEO ने राफेल विमान डील पर राहुल के आरोपों को बताया निराधार

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सीईओ ने अपने इंटरव्यू में भारत के साथ साझेदारी पर जोर दिया। ट्रैपियर ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा कि भारत के साथ उनकी साझेदारी 1953 में शुरू हुई थी। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की अगुवाई में भारत-दसॉल्ट के बीच करार हुआ था। दसॉल्ट एविएशन की आधिकारिक वेबसाइट www.dassault-aviation.com के अनुसार भारत और दसॉल्ट एविएशन के बीच 1953 में करार किया गया था। सन् 1953 में भारत ही कंपनी का पहला एक्सपोर्ट कस्टमर (विदेशी कस्टमर) बना था।

एरिक ट्रैपियर ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा लगाए जा रहे आरोप झूठ हैं। सथा ही उन्होंने कहा कि राहुल के आरोप बिल्कुल निराधार हैं। सीईओ ने कहा कि राहुल गांधी ने दसॉल्ट और रिलायंस के बीच हुए ज्वाइंट वेंचर (संयुक्त उद्यम) के बारे में सरासर झूठ बोला है। उन्होंने कहा कि डील के बारे में जो भी जानकारी दी गई है वह पूरी तरह सही है। सीईओ ने कहा कि वो झूठ नहीं बोलते हैं।

दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे – राहुल गांधी

दसॉल्ट कंपनी के सीईओ ने कहा कि राफेल डील में हमने जो पैसा इन्वेस्ट किया है वह रिलायंस नहीं बल्कि ज्वाइंट वेंचर में है। उन्होंने कहा कि इस वेंचर में रिलायंस ने भी पैसा लगाया है। हमारे इंजीनियर इंडस्ट्रीयल पार्ट को लीड करेंगे। इससे रिलायंस को भी एयरक्राफ्ट बनाने का एक्सपीरियंस मिलेगा। बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि दसॉल्ट ने रिलायंस को 284 करोड़ रुपये मदद के लिए दिए थे।

ज्वाइंट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दसॉल्ट का है

सीईओ ने साफ किया कि ज्वाइंट वेंचर में 49 फीसदी हिस्सा दसॉल्ट का है। 51 फीसदी हिस्सा रिलायंस का है। इसमें कुल 800 करोड़ रुपये का इन्वेस्ट होगा। जिसमें दोनों कंपनियां 50-50 की पार्टनर होंगी। दसॉल्ट के सीईओ ने कहा कि ऑफसेट को जारी करने के लिए हमारे पास 7 साल थे। जिसमें शुरुआती 3 साल में कुछ तय नहीं हो पाया था। उसके बाद 40 फीसदी हिस्सा 30 कंपनियों को दिया गया। इसमें से 10 फीसदी रिलायंस को दिया गया है।

महेश कुमार यादव

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