नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ताजा आदेश में केंद्र सरकार के उस फैसले को दरकिनार कर दिया है, जिसमें सरकार ने कहा था कि पानी की बोतल को एमआरपी से ज्यादा रेट पर बेचने से जेल की हवा खानी पड़ सकती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दुकानदार पानी की बोतल को एमआरपी रेट से ज्यादा पैसे पर बेच सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कृत्यों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने अपने इस फैसले के पीछे दलील दी कि ये दोनों सेवा उपलब्ध करवाते हैं और इन्हें मेट्रोलॉजी अधिनियम के तहत नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
भारतीय संघ के फैसले के खिलाफ भारत के होटल एवं रेस्तरां एसोसिएशन की ओर से दायर एक विशेष याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जब होटल और रेस्तरां वाले खाना और ड्रिंक्स सर्व करते हैं तो वो एक तरह की सेवा भी दे रहे होते हैं ऐसे में ऐसी संस्थाओं को बिलिंग के दौरान वस्तुओं की एमआरपी के हिसाब से ही बिलिंग करने पर जोर नहीं दिया जा सकता। इस सुनवाई के दौरान मौजूद वकील ने अदालत के फैसले को लेकर कहा कि अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि होटल और रेस्तरां सेवा के साथ और भी कई तरह की सेवाएं भी दी जाती है।
ऐसे में इन पर एमआरपी मूल्यों के कथित उल्लंघन के लिए लीगल मेट्रोलॉजी अधिनियम के तहत अभियोजन शुरू नहीं किया जा सकता है।रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार ने एफएचआरएआई के खिलाफ अपने हलफनामे में कहा था कि होटल एवं रेस्तरां में प्री-पैक्ड या उत्पादों के लिए एमआरपी से अधिक चार्ज करना मैट्रोलॉजी एक्ट का उल्लंघन है। ऐसे में इन लोगों की ओर से बोतल बंद पानी की एमआरपी से ज्यादा दाम पर बिक्री आर्थिक जुर्माना लगाने के लिए सरकार को मजबूर करती है।