लखनऊ। कोरोना मरीजों की थमती सांसों के थामने सहायक और कारगर दवा के रूप में उभरे रेमेडेसीवीर को लिए हाहाकार मचा हुआ है। आलम यह है कि पांच हजार रूपए के कीमत वाले इस इंजेक्शन को लोग 80 हजार रूपए तक में खरीदने को बाध्य हो रहे हैं।
रेमेडेसीवीर की खपत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश में इसकी जमकर कालाबाजारी की जा रही है। मेडिकल स्टोरों से यह इंजेक्शन गायब हो चुका है। लोग इस इंजेक्शन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने राहत भरी सूचना दी है कि जल्द ही केंद्र सरकार रेमेडेसीवीर की बड़ी खेप यूपी को देने वाली है। जिससे मरीजों में रही ऑक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सकेगा।
सवा लाख डोज देगा केंद्र
यूपी में रेमेडेसीवीर की मांग जोरों पर है। इसकी कमी के संबंध में मुख्यमंत्री को बताया गया कि भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश को अतिशीघ्र रेमेडेसीवीर के सवा लाख वॉयल प्राप्त हो जाएंगे। इससे प्रदेश में रेमेडेसीवीर की आपूर्ति और व्यवस्थित हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, दवा निर्माता कंपनियों द्वारा भी लगातार आपूर्ति की जा रही है। रेमेडेसीवीर को लेकर प्रदेश में स्थिति सामान्य है।
जीवनरक्षक दवाइयों को हो नियमित मॉनिटरिंग
रेमेडेसीवीर और फैबिफ्लू जैसी जीवनरक्षक दवाओं की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने सभी की मांग और आपूर्ति को संतुलित बनाए रखने के लिए सतत मॉनिटरिंग की जरूरत बताई। मुख्यमंत्री ने कहा कि औषधि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सभी जीवनरक्षक दवाओं के मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना सुनिश्चित करे। इन आवश्यक दवाओं की कालाबाजारी और स्टॉक करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाए।
अस्पतालों में बेड आवंटित करते समय रखें पारदर्शिता
कोविड बेड की जानकारी लेते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि कोविड मरीजों को बेड आवंटन में पूरी पारदर्शिता रखी जाए। इंटीग्रेटेड कंट्रोल एंड कमांड सेंटर की भूमिका इसमें अति महत्वपूर्ण है। प्रत्येक जनपद में बेड, ऑक्सीजन, दवाओं, मेडिकल उपकरणों तथा चिकित्साकर्मियों की पर्याप्त उपलब्धता हमेशा बनी रहे। एम्बुलेंस सेवाओं का सुचारु संचालन सुनिश्चित हो।