पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में हिंसा अब और भी ज्यादा विक्राल होती जा रही है। आए दिन लोग अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब अपनी चरम सीमा तक पहुंच गया है। अलग राज्य की मांग कर रहे और स्कूलों में बांग्ला भाषा को अनिवार्य बनाने के विरोध में GJM(गोरखा जनमुक्ति मोर्चा) द्वारा मंगलवार को भी बंद के कारण दार्जिलिंग में अशांति बनी रही। यहां GJM कार्यकर्ताओं ने बंद होने के कारण सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ की और कोई वाहन को चलने नहीं दिया। ऐसे में GJM कार्यकर्ताओं का कहना है कि बंद होने के कारण यहां कोई वाहन नहीं चलेगा। बंद के कारण बाजार और दुकानें भी बंद रही इक कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। GJM कार्यकर्ताओं का कहना कि पहाड़ी क्षेत्र में घूमने आए पर्यटकों को अपनी सुरक्षा खुद ही सुनिश्चित करनी है उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी नहीं है। वही दार्जिलिंग में स्थिति को सामान्य बनाने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगाई है।
ऐसे में केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावी क्षेत्र के लिए राज्य सरकार की मदद करने का फैसला लेते हुए अर्धसैनिक बल के 600 जवानों को स्थिति को सामान्य बनाने के लिए भेजा है। वही GJM की तरफ से अनिश्चितकालीन बंद के कारण लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और इसके दूसरे दिन मंगलवार को यहां पथराव होने की घटनाएं सामने आई। ऐसे में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस पूरी घटना की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से एक बयान सामने आया है। इस बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने दार्जिलिंग में हिंसा प्रभावी क्षेत्र में 600 अर्धसैनिक बल के जवानों को भेजा है। 600 जवानों में से 200 महिला जवानों को दार्जिलिंग में भेजा गया है। वही पश्चिम बंगाल में पहले से ही करीब 400 जवानों की तैनाती हो रखी है। इस दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता राज्य सचिवालय में स्थिति सामान्य होने की बात कही है, बनर्जी ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट मांगने वाली बात को नकारते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने इसपर अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं मांगी है। वही GJM के समर्थकों ने बंद के कारण पुलिस पर पथराव भी किया है।