नई दिल्ली। कल कल बहती गंगा की सौम्य धारा और मंदिरों से आते शंखनादों की ध्वनियां इस पवित्र सौम्य वातावरण में हमें जीने की उर्जा प्रदान करता है। इस परम पावनी मां गंगा के अवतरणके उत्सव पर्व हमारे धर्म शास्त्रों और वेदों में सर्वोपरि रहे हैं। मान्यतानुसार हिन्दी माह के ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को मां गंगा के अवतरण का पर्व गंगा दशहरा मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर स्कन्धपुराण में आया है कि ज्येष्ठ शुक्ला दशमी संवत्सरमुखी मानी जाती है। इसमें स्नानऔर दान का फल अक्षय होता है। इस दिन किया गया व्रत दान पुण्य महापातकों के बराबर के दस पापों खत्म करता है।
गंगा का विशेष महत्व
यूं तो नदियों का भारतीय जीवन परम्परा में बड़ा महत्व है। भारतीय धर्म ग्रन्थों में तीर्थ की परिकल्पना भी हमेशा नदियों के घाटों पर ही होती है। जनमानस में गंगा को सबसे पवित्र नदी माना गया है। इसलिए गंगा को मां का दर्ज दिया जाता है। क्योंकि माना जाता है कि गंगा विष्णु के पांव से निकली और ब्रह्मा के कमंडल में बसी थीं। जहां से गंगा जब धरती पर अवतरित हुई तो शिव की जटाओं से होती हुई । धरती पर अपनी अविरल धारा को प्रवाहित कर रही हैं। कहा जाता है कि कि गंगा देवताओं की नदी हैं और अब मनुष्यों को तारने धरती पर आई हैं। इसलिए गंगा के घाट पर स्नान दान पुण्य का तो महत्व है ही लेकिन गंगा के अवतरण यानी गंगा दशहरा पर इसका विशेष पूजन आरती और दान स्नान का महत्व है।
इस बार क्यूं है गंगा दशहरा खास
यानी ज्योतिष गणना के अनुसार लम्बे समय के बाद ये नक्षत्र आया है। इसलिए इस बार गंगा दशहरा का महत्व कुछ ज्यादा ही अधिक है। इस बार गंगा दशहरा पर्व सर्वार्थ सिद्घि और अमृत सिद्घि योग के बीच मनाया जा रहा है। अनुसार तीन जून को सुबह 6:52 मिनट से ही दशमी लग गई है, जो अगले दिन यानि चार जून तक सुबह 8:03 मिनट तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि ना होने के चलते 3 जून की जगह 4 को गंगा दशहरा का पर्व मनाया जायेगा। चूंकि ज्योतिष मान्यता के अनुसार उदया तिथि में जो तिथि या नक्षत्र होते है वह दिन उसी का माना जाता है।
कैसे करें मां गंगा की पूजा
मां गंगा में स्नान के लिए जायें तो मज्जन कर स्नान करें फिर मां गंगा को प्रणाम करें। फिर हाथ में हल्दी अक्षत और दूब लेकर ऊं नमह शिवाये नारायनये दशहराये गंगाये नमह’ का दस बार जाप करें। फिर इस का तर्पण करें। इसके बाद मां गंगा को जल दें दूध दे शहद दें फल दे मिष्ठान अर्पित करें फिर वस्त्र दे फिर मां गंगा के स्तोत्र को पढ़ते हुए मां गंगा की आरती करें। फिर मां गंगा में जाकर डुबकी लगाकर स्नान कर पुण्य का लाभ लें। स्नान के बाद गौ दान कर इस दिन के पुण्य का लाभ लें।
अजस्र पीयूष