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सीबीआई श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक वर्कशॉप कराने जा रही है

sri sri सीबीआई श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक वर्कशॉप कराने जा रही है

नई दिल्ली। विवादों से जूझ रही सीबीआई के मुख्यालय के अंदर ‘नकारात्मक ऊर्जा खत्म करने के लिए’ श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक वर्कशॉप कराने जा रही है। तीन दिन तक चलने वाले इस ट्रेनिंग सेशन में सीबीआई के 150 अधिकारियों और कर्मचारियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराने की कोशिश की जाएगी। इस सेशन का आयोजन आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर कर रहे हैं। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सीबीआई के इस आयोजन की कड़ी आलोचना की है।

sri sri सीबीआई श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग एक वर्कशॉप कराने जा रही है

बता दें कि भूषण ने एक ट्वीट में लिखा, ‘डायरेक्टर पद से आलोक वर्मा को हटाने और दागदार अधिकारी नागेश्वर राव को डायरेक्टर बनाने के बाद सीबीआई श्री श्री के तत्वावधान में एक वर्कशॉप कराने जा रही है। इसका मकसद सीबीआई से नकारात्मक ऊर्जा निकाल कर सकारात्मक ऊर्जा भरना है। वो दिन बहुत दिन नहीं जब सीबीआई में हम तांत्रिक, ज्योतिष और सपेरे देखेंगे। बता दें कि प्रशांत भूषण सीबीआई में जारी विवाद पर लगातार मोदी सरकार को घेर रहे हैं।

गौरतलब है कि जांच एजेंसी सीबीआई में सकारात्मकता लाने के लिए 10, 11 और 12 नवंबर को एक वर्कशॉप का आयोजन होने जा रहा है। श्री श्री रविशंकर की संस्था आर्ट ऑफ लिविंग ‘सिनर्जी प्रोग्राम’ नाम से वर्कशॉप आयोजित करेगी। इस प्रोग्राम का मकसद सीबीआई में सकारात्मकता लाने, एकसाथ काम करने की क्षमता बढ़ाने और खुशहाल माहौल तैयार करना है ताकि अधिकारी काम के दौरान अपना सबसे अच्छा योगदान दे सकें। वर्कशॉप में शामिल होने वाले कुल 150 अधिकारियों में इंस्पेक्टर रैंक से लेकर प्रभारी निदेशक तक हिस्सा लेंगे। नई दिल्ली स्थित सीबीआई मुख्यालय में इस सेशन का आयोजन होने जा रहा है।

वहीं पिछले कुछ महीने से सीबीआई में उथल-पुथल मची हुई है। इस संस्था के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि रिश्वतखोरी कांड जगजाहिर हुआ और घूस देने वाले शख्स ने सार्वजनिक ढंग से जांच एजेंसी के दूसरे सर्वोच्च अधिकारी पर 3 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया। बाद में इसकी चपेट में सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा भी आए और उनपर भी रिश्वतखोरी का आरोप लगा। जांच एजेंसी की गिरती साख के मद्देनजर केंद्र सरकार ने दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजा और स्वतंत्र जांच की सिफारिश की। मामला सुप्रीम कोर्ट में भी जा चुका है। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि वह इस मामले को देखेंगे, उन्होंने सीवीसी से अपनी जांच अगले 2 हफ्ते में पूरी करने को कहा है। ये जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज एके पटनायक की निगरानी में होगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि देशहित में इस मामले को ज्यादा लंबा नहीं खींच सकते हैं।

आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि किस आधार पर आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजा गया है। इस मामले में अब 12 नवंबर को अगली सुनवाई होगी। CJI ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस स्थिति में बस इस मामले पर सुनवाई होगी कि ये प्रथम दृष्टया केस बनता है या नहीं। अंतरिम डायरेक्टर नागेश्वर राव की नियुक्ति पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह कोई नीतिगत फैसला नहीं कर सकते हैं। वह सिर्फ रूटीन कामकाज ही देखेंगे। नागेश्वर राव ने 23 अक्टूबर से अभी तक जो भी फैसले लिए हैं, उन सभी को सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा जाएगा।

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