लखनऊः उतत्र प्रदेश के चर्चित गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एंटी करप्सन विंग घोटाले को लेकर कई जगहों पर छापेमारी की है। टीम ने यूपी के अलावा पश्चिम बंगाल और राजस्थान में 40 ठिकानों पर छापेमारी की है।
बता दे कि राजधानी लखनऊ, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर और रायबरेली में भी सीबीआई टीम ने छापेमारी की है। बीते शुक्रवार को 189 लोगों पर केस दर्ज किया गया था।
बजट का 95% खर्च लेकिन काम सिर्फ 60%
ज्ञात हो कि रिवर फ्रंट घोटाला सपा सरकार में हुआ था। सपा सरकार ने गोमती रिवर फ्रंट के लिए 1513 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। जिसमें से 1437 करोड़ रूपए जारी होने के बाद भी महज 60 फीसदी ही काम पूरा किया गया। रिवर फ्रंट का काम करने वाली संस्थाओं ने 95 फीसदी बजट खर्ज करने के बावजूद भी काम पूरा नहीं किया।
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साल 2017 में जब योगी सरकार आई तो उसने रिवर फ्रंट की जांच के आदेश देते हुए न्यायिक आयोग का गठन किया। जांच में पता चला कि डिफॉल्टर कंपनी को ठेका देने के लिए शर्तों मे बदलाव किया गया। इस पूरे प्रोजेक्ट में करीब 800 टेंडर निकाले गए, जिसका अधिकार चीफ इंजीनियर को दे दिया गया।
आयोग की रिपोर्ट में उजागर हुईं खामियां
मई 2017 में रिटायर्ड जज आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में नायायिक आयोग से जांच की गई। जिसमें कई खामियां सामने आईं। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर योगी सरकार ने सीबीआई जांच के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा।
क्या हैं आरोप?
दरअसल, गोमती रिवर फ्रंट निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों पर कई तरह के गंभीर आरोप हैं। इन इंजीनियरों पर दागी कंपनियों को टेंडर देने, विदेशों से महंगा सामान खरीदने, चैनलाइजेशन के कार्यों में घोटाला करने, नेताओ और अधिकारियों के विदेश दौरे में फिजूलखर्ची करने सहित वित्तीय लेन-देन में घोटाला करने और नक्शे के हिसाब के कार्य नहीं करने का आरोप है।