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तस्करों पर हुई कार्रवाई पर कप्तान हैं खामोश

taskari up तस्करों पर हुई कार्रवाई पर कप्तान हैं खामोश

बहराइच। देश की सीमा पर संवेदनशीला को लेकर देश में केन्द्र सरकार लाख सचेत रहे लेकिन जब खुद सुरक्षा से जुड़े लोग ही सुरक्षा को तार-तार करें तो कोई क्या करे। वाकिया है देश के राज्य उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के बॉर्डर से जुड़े इलाके रुपईडीहा का जहां गत दिनों पहले पुलिस ने भारतीय मुद्रा की तस्करी करते हुए तस्करों को गिरफ्तार किया था। पुलिस और स्वाट टीम ने मिलकर ये कार्रवाई की थी लेकिन फिर वही खेल खेला गया , जिसके लिए रुपईडीहा का थाना और थानेदार अक्सर चर्चा में रहते हैं।

फिलहाल रुपईडीहा थाने पर गिरफ्तार कर लाये गये तस्करों पर थानेदार ने आईपीसी की धारा 151 में चालान कर दिया है। इसके साथ ही इस पूरे प्रकरण का मजाक बना दिया। जबकि कानूनी जानकारों की माने तो यह अपराध गम्भीर श्रेणी का है। इसमें मनीलैन्ड्रींग की धारा के साथ अन्य धाराएं जोड़ी जानी चाहिए थी। ऐसे में पुलिस की कारगुजारी उसके कारनामे साफ जाहिर हैं, कि किस तरह से पुलिस अपराधियों को बचाने में लगी हुई है।

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अब जब पूरे देश काले धन पर पीएम मोदी की सर्जिकल स्ट्राइक में साथ खड़ा है। तो सीमा के पास जिले की पुलिस ही पैसों की बड़े पैमाने पर अदला-बदली के खेल पर पर्दा डालने के फिराक में लगी हुई है। सीमा के इस थाने पर फिलहाल थानेदार राजेश सिंह तैनात हैं। सूत्रों की माने तो थानेदार पर कई बार अपराधियों से साठगांठ के आरोप भी लगे हैं। लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि थानेदार की शह पर ये सारा तस्करी का खेल चल रहा है। ऐसे में जिले के कप्तान तक इस बात की खबर नहीं होना बड़ा ही हास्यपद मालूम देता है। क्योंकि लगातार तस्करी की खबरों के बाद भी थानेदार राजेश सिंह अपनी कुर्सी पर बैठे हुए हैं।

जब इस मामले पर चालान के बावत हमें कप्तान सालिक राम साहब से बात की तो वो गोल-मोल सा जबाब दे गये। पहले तो उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, फिर बात को संभालते हुए उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र एसएसबी के नियंत्रण में आता है, हम सीमा के इस पार का ही इलाका देखते हैं लिहाजा एसपी की नाक के नीचे थानेदार पूरी तरह से आजादी के साथ अपना साम्राज्य चला रहा है।

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हांलाकि इस मामले में जब रेंज के डीआईजी अनिल कुमार राय से बात की गई तो उनका कहना था कि जो लोग पकड़े गये हैं। उनके पास कुछ करेंसी पुरानी भारतीय मुद्रा की थी जो कि तकरीबन 3 से 4 लाख के बीच है। इसलिए इस आधार पर उन्हें अपराधी नहीं माना जा सकता है। कुल मिलाकर डीआईजी साहब उन्हे तस्कर नहीं मान रहे हैं। उन्होने कहा कि इस बात की जानकारी आईटी विभाग को दी गई है। उसकी जांच के बाद ही कोई कार्रवाई हो सकती है। इसलिए अभी 151 की धारा लगाई गई है।

आखिर जब एसपी साहब ही कार्रवाई करने से कतरा रहे हैं, तो अपराधियों के हौसले कैसे नहीं बढ़ेंगे। जिले के अति संवेदनशील इलाके में इस थाने का जिक्र अगर इस तरह आये तो ये बात जिले के आलाधिकारियों के लिए सोचने की है।

piyush-shukla अजस्रपीयूष, संवाददाता

rp_ajay-sharma_baharaich अजय शर्मा, संवाददाता

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