चंडीगढ़। मोदी सरकार ने किसानों की आमदनी दोगुणी करने के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं उसमें फसली बीमा योजना भी है लेकिन इसमें कई खामियां होने के कारण बादल सरकार ने इसे पहले ही रिजैक्ट कर दिया था लेकिन इसके स्थान पर कोई अन्य विकल्प नहीं दिया था, लेकिन अब पंजाब में कैप्टन सरकार ने अपनी बीमा कंपनी बनाने का निर्णय लिया है।
बता दें कि कैबिनेट के द्वारा इसे 21 मार्च को मंजूरी देने के साथ ही पंजाब अपनी फसली बीमा कंपनी बनाने में लग गई है। गौर करने वाली बात है कि हरियाणा सरकार ने केंद्र की योजना अडॉप्ट कर ली है और इसमें व्याप्त कई कमियों के कारण अब उन्हें नुकसान झेलना पड़ रहा है।
मोदी सरकार का मानना था कि इस योजना से किसानों की आमजनी में इजाफा होगा। इस लिहाज से उन्होंने कई नई योजनाएं बनाई थी इन्हीं में से एक फसली बीमा योजना भी है, लेकिन बादल सरकार का मानना है कि इसमें अभी काफी कमियां है जिसकी वजह से इसे जमीनी तौर पर नहीं लाया जाना चाहिए। जिसके चलते अब पंजाब में कैप्टन सरकार ने अपनी बीमा कंपनी बनाने का फैसला लिया है।
कैप्टन सरकार के द्वारा इस योजना को रिजैक्ट करने के पीछे के कारण-
– केंद्र की योजना में प्रावधान था कि बीमा राशि देने के पहले पूरे गांव को ईकाई माना जाए और उसका आंकलन किया जाएगा। इसके बाद ही निषकर्ष निकलेगा कि फसल खराब हुई है य नहीं। लेकिन तेज बारिश या ओले कई बार केवल कुछ ही क्षेत्र में पड़ते हैं इसलिए पूरे गांव को ईकाई मानना सही नहीं है।
– कुल फसल का यदि दस फीसदी नुकसान होता है तभी मुआवजा मिलेगा इससे कम पर मुआवजा नहीं म्लेगा।ऐसे में तो पहले ही तय है कि कंपनी क्लेम देगी ही नहीं। फिर इस योजना का किसानों को फायदा ही क्या?
– प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसानों को ध्यान में रखकर बनाया गया पर इस बात पर ध्यान नहीं दिया गया कि किसान कैसे क्लेम करेंगे, कहां अपील करेंगे, अगर किसी किसान को इस सब की जानकारी नहीं होती तो वो क्लेम कर ही नहीं पाएगा।