नई दिल्ली। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत के दौरे पर हैं,लेकिन भारत द्वारा उनकी अनदेखी करने को लेकर कनाडा की जनता नाराज है। दरअसल भारत में जब भी किसी भी देश के राष्ट्राध्यक्ष आते हैं तो खुद पीएम मोदी उनका स्वागत करने के लिए एयरपोर्ट जाते हैं,लेकिन ट्रूडो के स्वागत के लिए पीएम तो दूर सरकार का कोई मंत्री तक नहीं पहुंचा, जिसको लेकर कनाडा की मीडिया का कहना है कि भारत ने हमारे प्रधानमंत्री का अपमान किया है। वहीं इस मामले को लेकर कनाडा के कुछ लोगों का कहना है कि भारत जानबूझकर ट्रूडो की अनदेखी कर रहा है क्योंकि जस्टिन कनाडा में खालिस्तानियों को बढ़ावा देते हैं।
कनाडा की एक जानी-मानी लेखिका ने इस मामले को लेकर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब हमारे प्रधानमंत्री भारत पहुंचे तो भारत के पीएम उन्हें एयरपोर्ट पर लेने तक नहीं पहुंचे। यहां तक की हमारे पीएम से अभी तक पीएम मोदी ने मुलाकात तक नहीं की है, जबकि उनका एक सप्ताह का भारत दौरा लगभग खत्म होने को है। लेखिका ने लिखा कि पीएम मोदी इजराइल, अमेरिका, सऊदी के राष्टाध्यक्षों का एयरपोर्ट पर स्वागत करते हैं, लेकिन उन्होंने हमारे प्रधानमंत्री का स्वागत क्यों नहीं किया? वहीं कनाडा के लोगों का कहना है कि ये ट्रूडो खालिस्तानियों को समर्थन देना बंद करना चाहिए क्योंकि भारत में उनकी अनदेखी का कारण यही है।
कनाडा के लोग इस बात से भी नाराज हैं कि जब पीएम ट्रूडो अपनी पत्नी और तीनों बच्चों के साथ यूपी में ताजमहल के दीदार करने पहुंचे तो सीएम योगी आदित्यनाथ उनके साथ नहीं थे, जबकि हाल में जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ताजमहल गए थे तो योगी उनके साथ थे। पीएम ट्रूडो के ताज दौरे पर उनके साथ आगरा के जिला मजिस्ट्रेट और प्रशासन के कुछ लोग शामिल थे। यहीं नहीं पहले ट्रूडो के साथ पंजाब के सीएम अमिरंदर सिंह भी मीटिंग करने वाले थे और उनके साथ स्वर्ण मंदिर जाने वाले थे।
दरअसल अमरिंदर सिंह खालिस्तान नाम से अलग राष्ट्र का समर्थन करने के चलते सीएम अमरिंदर उनसे नाराज है इसलिए वो भी उनसे मुलाकात नहीं करेंगे और भारत यात्रा पर आए ट्रूडो इसी बेरुखी के साथ अपने देश चले जाएंगे। आपको बता दें कि ट्रूडो को खालिस्तानियों का समर्थक कहा जाता है। उन्होंने सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल लोगों को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था इससे मामला और बिगड़ गया। ट्रूडो की कैबिनेट में फिलहाल चार सिख मंत्री हैं। इसमें हरजीत सज्जन, अमरजीत सोही, नवदीप बैंस, बर्दिश छागर शामिल हैं। सोही ने हाल ही में कहा था कि वह खालिस्तान आंदोलन के न तो खिलाफ हैं और न समर्थन में।