नई दिल्ली। कोरोना वायरस ने पूरे देश को नहीं बल्कि पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। जिसके चलते सभी को इस भंयकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच एक बात ध्यान में आती है कि अगर कोई व्यक्ति कोरोना वायरस संक्रमण से जूझ रहा है और उसे किसी को ब्लड डोनेट करना है तो क्या वह ऐसा कर सकता है। हां वो ऐसा कर सकता है। लेकिन उसके लिए उसे सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करना होगा। इसके साथ ही ऐसे मामले समाने आ चुके हैं। पुणे में ब्लड कैंसर के एक 55 वर्षीय मरीज ने जून में अपने कोरोना वायरस पॉजिटिव बेटे से रक्त स्टेम सेल हासिल किया था और अब छह महीनों से संक्रमण मुक्त है।
ब्लड डोनेशन को लेकर कंद्र सरकार की गाइडलाइन्स-
बता दें कि वायरस पर शोध कर रहे वैज्ञानिक एहतियात के तौर पर संक्रमित मरीज से ब्लड डोनेशन के खिलाफ सलाह देते हैं। इस सिलसिले में केंद्रीय सरकार की ताजा गाइडलाइन्स रोशनी डालती है। उसके मुताबिक, कोरोना की जांच में पॉजिटिव पाए गए मरीज का ब्लड लिया जा सकता है लेकिन शर्त ये है कि मरीज कोविड-फ्री और अस्पताल से डिस्चार्ज के 28 दिन उसे हो चुके हों या घर पर आइसोलेशन के बाद समान दिन गुजर चुके हों। इसके साथ ही अप्रैल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट का मिलता जुलता मामला थाईलैंड में भी आया था और ब्लड लेनेवाला अब तक कोविड-19 से मुक्त है। एक डॉक्टर का कहना है कि पुणे मामले ने स्पष्ट कर दिया कि कोविड-19 का संक्रमण ब्लड से नहीं फैलता है। चाहे ब्लड डोनर कोरोना वायरस से संक्रमित ही क्यों न हो। हालांकि हेमाटोलॉजिस्ट का कहना है कि इसका ये मतलब नहीं कि संक्रमित मरीज को अपना ब्लड डोनेट करना चाहिए।
कोविड पॉजिटिव से कैंसर के मरीज में ब्लड ट्रांसफ्यूजन-
विशेषज्ञों ने बताया कि पुणे मामले ने ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए संक्रमण फैलने के खतरे को खारिज कर दिया है। उनकी सलाह है कि कोविड-19 के एसिम्पटोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीज भी ब्लड डोनेट कर सकते हैं। दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के हेमाटोलॉजिस्ट समीर मेलिनकिरी ने बताया कि जनवरी में मरीज के अंदर ल्यूकेमिया की पहचान हुई थी। आपातकालीन बोन मैरो ट्रांसप्लांट की उसे फौरन सख्त जरूरत थी। उसका बेटा ब्लड डोनेशन के लिए पूरी तरह फिट था मगर ट्रांसप्लांट से एक दिन पहले कोरोना की जांच में उसे पॉजिटिव पाया गया। मरीज का उसी दिन जांच हुआ और उसे कोविड-19 निगेटिव पाया गया। कीमोथेरपी के उच्च डोज से उसका मैरो बुरी तरह तबाह हो गया था। ट्रांसप्लांट के बाद उसके लक्षणों की निगरानी की गई और फिर कोविड-19 का जांच कराया गया। लेकिन उसके अंदर संक्रमण का विकास नहीं हुआ और जल्दी ठीक हो गया।