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पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए आगे आया चेंबूर सिटीजन फोरम, मुबंई में चिपको आंदोलन की मुहिम

d1f800bf 9b97 4682 acc1 277ba4d963f6 पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए आगे आया चेंबूर सिटीजन फोरम, मुबंई में चिपको आंदोलन की मुहिम

मुबंई। प्रदूषण का बढ़ता प्रकोप पर्यावरण को खतरे में डाल रहा है। सरकार द्वारा ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने की अपील की जा रही है। वहीं दूसरी तरफ शहरों में प्रोजेक्ट को चालू करने के लिए सरकार के द्वारा ही पेड़ो की कटाई करवाई जा रही है। आए दिन पेड़ो की कटाई से संबंधित मामले सुनाई पड़ते हैं। जानें लोग कब समझेंगे कि जब तक पर्यावरण है, तब तक ही जीवन है। इसी बीच मुबंई के चेंबूर में भी मेट्रो टू बी का काम चल रहा है। जिसके चलते सड़क किनारे करीब 150 पेड़ों पर सिविक गार्डन डिपार्टमेंट ने पेड़ों को काटने की नोटिस चस्पा कर दिया है। जिसका चेंबूर सिटीजन फोरम ने विरोध किया है। इस फोरम के फाउंडर मेंबर एस बालाकृष्णन के मुताबिक करीब 50 साल से ज्यादा पुराने इन पेड़ों की वजह से मेट्रो प्रोजेक्ट को किसी भी तरह से दिक्कत नहीं आ रही है, उसके बावजूद इन पेड़ों को काटने की नोटिस लगाया गया है।

पेड़ों की कटाई का विरोध कर रहे पर्यावरण प्रेमी-

बता दें कि फोरम ने चेतावनी दी है कि अगर पेड़ों के काटने के इस फैसले को वापस नहीं लिया गया तो चेंबूर सिटीजन फोरम चिपको आंदोलन की तर्ज पर आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतरेगा। इसके लिए इस फोरम की तरफ से एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर एक मुहिम भी छेड़ी गई है, जिसमें लगातार लोग जुड़ रहे हैं। अब इंतजार है सिविक गार्डन डिपार्टमेंट के फैसले का कि आखिर वो इस पर क्या फैसला लेता है। हालांकि सिविक गार्डन डिपार्टमेंट की तरफ से आश्वासन दिया गया है कि इन पेड़ों को वहां से ट्रांसफर किया जाएगा। लेकिन फोरम के सदस्यों के मुताबिक ये पेड़ इतने बड़े हो चुके हैं कि उन्हें ट्रांसफर करना मुश्किल है। इसलिए इन्हें काटने का प्लान बनाया जा रहा है जो कि वह किसी भी हालत में होने नहीं देंगे। मुंबई में चेंबूर इलाके के तमाम लोग करीब 150 इन पेड़ों को बचाने के लिए सड़क पर उतरेंगे और चिपको आंदोलन करेंगे। मुंबई में मेट्रो के प्रोजेक्ट को लेकर यहां के पर्यावरण प्रेमी लगातार पेड़ों के कटने का विरोध करते रहे हैं, इसी के चलते ठाकरे सरकार को आरए जंगल में बनने वाले मेट्रो कारसेड को हटाकर कंजूरमार्ग ले जाने का फैसला लेना पड़ा, जिसपर कोर्ट ने फिर स्टे लगा दिया है और इस वक़्त ये महाराष्ट्र की राजनीति का एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

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