लखनऊ: ऐसे युवक या बच्चे जो जीवन में कभी कुपोषण के शिकार हुए हैं वह सावधान हो जाए क्योंकि एक शोध के अनुसार ऐसे युवक या बच्चे जो एक बार भी कुपोषण के शिकार हुए हैं उनके लिए कोरोना संक्रमण बेहद ही घातक साबित हो सकता है। ऐसे में उस व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है इसलिए ऐसे लोगों को कोरोना संक्रमण के प्रति पहले से ही सावधान रहना चाहिए और पूरी तरीके से सावधानियां बरतनी चाहिए।
दर्शल कैलिफोर्निया चिल्ड्रन हॉस्पिटल ऑफ ऑरेंज कंट्री के शोधकर्ताओं ने अपने एक रिसर्च मे दावा किया है, की कुपोषण कोरोना के रिस्क को बढ़ाता है। ऐसे मे कुपोषण के शिकार हुए युवक अगर संक्रमण के चपेट में आते हैं तो उनके लिए मौत का खतरा ज्यादा है।
शोधकर्ताओं का कहना है, कुपोषण रोगों से लड़ने वाले इम्यून सिस्टम के काम करने की क्षमता पर अपना प्रभाव डालता है। इसका असर शरीर पर काफी समय तक रहने की वजह से इम्यून सिस्टम भी खराब हो जाती है।
कुपोषण-कोरोना के बीच रिसर्च
कुपोषण और कोरोना के कनेक्शन को समझने के लिए 8,604 बच्चों और 94,495 युवकों पर शोधकर्ताओं द्वारा एक रिसर्च की गई। ये सभी बच्चे और युवक कोरोना के संक्रमण के बाद अमेरिका के अस्पतालों में मार्च और जून में भर्ती कराए गए थे। 2015 से 2019 के बीच आए कुपोषण के मरीजों से तुलना करने के बाद रिसर्च के परिणाम को जारी किया गया हैं।
भूख से निपटने के लिए भारत की स्थिति अच्छी नहीं
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन की 2019 में आई रिपोर्ट के अनुसार राज्यों में 5 साल तक के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण कुपोषण रहा। 2017 में कुपोषण के कारण देश में पांच साल की उम्र वाले 10.4 लाख बच्चों ने दम तोड़ा है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट के अनुसार भूख से निपटने में भारत की स्थिति अच्छी नहीं है।