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बजट सत्र के बाद होगा मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार, बागी विधायक चहाते हैं होली से पहले हो

कमलनाथ सरकार 1 बजट सत्र के बाद होगा मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार, बागी विधायक चहाते हैं होली से पहले हो

भोपाल. मध्य प्रदेश में छिड़ा राजनीतिक संग्राम फिलहाल थमने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने शनिवार को कहा कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार बजट सत्र के बाद होगा। इसके साथ ही उन्होंने इन चर्चाओं को विराम लगा दिया है कि मंत्रिमंडल विस्तार एक-दो दिन में हो सकता है। लेकिन, कांग्रेस के बागी और निर्दलीय विधायक चाहते हैं कि मंत्रिमंडल का विस्तार होली के बाद और बजट सत्र से पहले हो। 

बता दें कि कमलनाथ सरकार सियासी संकट को टालने के लिए जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकती है। सभी मंत्रियों को 8 मार्च तक को भोपाल में रहने के निर्देश दिए गए हैं। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि निर्दलीय और सपा और बसपा और कांग्रेस के नाराज विधायकों को साधने के लिए कमलनाथ नए सिरे से कैबिनेट की शपथ करवा सकते हैं। शुक्रवार को कैबिनेट विस्तार के नजरिए से मंत्रियों ने इस्तीफा देने की पेशकश की थी। लेकिन शनिवार को जनसंपर्क मंत्री ने बजट सत्र के मंत्रिमंडल में फेरबदल होने की बात कही। 

मंत्री शर्मा के बयान के बाद बागी विधायक असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। विधायकों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो जाएगा, जो अप्रैल तक चलना है। 20 मार्च को बजट पेश होना है। इसके बाद 26 मार्च को राज्यसभा की 3 सीटों के लिए मतदान होगा। वह चाहते हैं कि राज्य सभा की वोटिंग से पहले मंत्रिमंंडल विस्तार हो। इसके लिए होली के बाद कोई भी तारीख रखी जाए। विधायकों का कहना है कि उनसे मीटिंग में बात कुछ और की जाती है और मंत्री बाहर अलग तरह की बातें करते हैं। उनकी सरकार है वे जो चाहे करें। हम इस मामले में क्या कह सकते हैं।    

कांग्रेस से जुड़े सत्रों का कहना है कि इस वक्त कमलनाथ मंत्रिमंडल में शामिल करीब 8 जूनियर मंत्रियों से इस्तीफा लिया जा सकता है। इनके स्थान पर 4 से 5 चुनाव जीत चुके वरिष्ठ विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा कुछ को कांग्रेस संगठन में भी एडजस्ट किया जा सकता है। प्रदेश में 230 विधायकों की संख्या के हिसाब से 34 सदस्य मंत्री बनाए जा सकते हैं। इस समय मुख्यमंत्री को मिलाकर 29 मंत्री है। 5 मंत्री और शामिल किए जा सकते हैं। 

सरकार में व्याप्त असंतोष के चलते कांग्रेस के नाराज वरिष्ठ विधायकों की ही संख्या करीब एक दर्जन हैं। सरकार को सर्मथन दे रहे 6 निर्दलीय विधायक भी मंत्री बनने के लिए आंखें तरेर रहे हैं। निर्दलीय विधायक सुरेंद्र सिंह शेरा और रामबाई तो कई मौकों पर मुख्यमंत्री पर वादाखिलाफी का आरोप लगा चुके हैं। निर्दलीय विधायक भी मंत्री बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। सरकार का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायक सबसे कमजोर कड़ी बताए जा रहे हैं। यदि इनमें से एक भी विधायक को तोड़ने में सफल होती है, तो भाजपा की शक्ति में इजाफा हो जाएगा। वर्तमान में कांग्रेस 114 विधायक के साथ सत्ता में है, तो भाजपा के 107 विधायक हैं। बसपा के 2, सपा का एक और 4 निर्दलीय विधायक हैं।

कांग्रेस से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में उपजे ताजा राजनीतिक असंतोष को शांत करने के लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल किया जाना ही एक मात्र उपाय बचा है। ऐंदल सिंह कंसाना, बिसाहूलाल सिंह, केपी सिंह और लक्ष्मण सिंह का मंत्री बनना तय है। इसके अलावा कुछ नए चेहरे भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं। निर्दलीय विधायकों में बसपा से रामबाई और संजीव में से किसी एक को मंत्री और एक को किसी निगम मंडल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। सपा के राजेश शुक्ला, निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा, हीरा अलावा को या तो राज्यमंत्री या निगम मंडल का अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

नए सिरे से मंत्रिमंडल गठन के लिए कमलनाथ सरकार के मंत्रियों ने कैबिनेट की बैठक में इस्तीफे की पेशकश की। यह पेशकश सरकारी एजेंडा खत्म होने के बाद अनौपचारिक चर्चा के दौरान की गई। इस दौरान कुछ मंत्रियों ने सरकार को खतरे से निकालने के लिए कहा कि यदि आपको किसी अन्य को मंत्रिपरिषद में समायोजित करना है तो हम पद छोड़ने के लिए तैयार हैं। पूरी कैबिनेट ने एक सुर में मुख्यमंत्री से कहा कि हम आपके साथ हैं, जो भी निर्णय लेंगे, वह हमें मान्य होगा। बताया जा रहा है कि कुछ मंत्रियों को निकट भविष्य में मंत्री पद छोड़ना पड़ सकता है।

प्रदेश के ताजा राजनीतिक हालात पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक तरह से खामोशी अख्तियार कर रखी है। सिंधिया गुट के प्रदेश सरकार में शामिल मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा है कि सरकार पर कभी कोई संकट आ भी सकता है, वे यह मानने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें 121 विधायकों का समर्थन है। जबकि भाजपा के पास सिर्फ 107 विधायक हैं। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा या अनादर होती है तो जरूर संकट आ सकता है। उन्होंने कहा कि तब इस सरकार पर संकट के ऐसे काले बादल छाएंगे कि इसके बारे में मैं अभी कुछ नहीं कह सकता।

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